उच्च हिमालय में बाघ की दहाड़, यहां पहली बार आया नजर
अब उच्च हिमालय में भी बाघों की दहाड़ गूंजने लगी है। टिहरी जिले में 12139 फीट की ऊंचाई पर स्थित खतलिंग ग्लेश्यिर के आसपास कैमरा ट्रैप में बाघ की मौजूदगी का पता चला है।
नई टिहरी, [अनुराग उनियाल]: बाघों की तादाद में देश में दूसरे पायदान पर खड़े उत्तराखंड के लिए यह एक अच्छी खबर है। अब उच्च हिमालय में भी बाघों की दहाड़ गूंजने लगी है। टिहरी जिले में 12139 फीट की ऊंचाई पर स्थित खतलिंग ग्लेश्यिर के आसपास कैमरा ट्रैप में बाघ की मौजूदगी का पता चला है। इससे वन्य जीव प्रेमियों में खासा उत्साह है।
प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) डीवीएस खाती ने कहा कि पहाड़ में बाघ की उपस्थिति एक अच्छा संकेत है। पिछली गणना में प्रदेश में बाघों की संख्या 361 थी, जो इस बार चार सौ के पार हो सकती है।
टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक में खतङ्क्षलग ग्लेशियर के पास स्थित गंगी गांव से 27 किलोमीटर दूर खरसोली क्षेत्र में बाघ की गतिविधियां कैमरा ट्रैप में कैद हुई हैं। वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार इस क्षेत्र में पहली बार बाघ की मौजूदगी सामने आई है।
खाती के अनुसार भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्लूआइआइ) ने पिछले साल अप्रैल में यहां 40 कैमरे लगाए थे। उन्होंने बताया कि इसके अलावा केदारनाथ वन प्रभाग और पिथौरागढ़ की अस्कोट सेंचुरी में कैमरे लगाए गए। इन तीनों स्थानों पर बाघ की मौजूदगी का पता चला है।
भारतीय वन्य जीव संस्थान के शोधकर्ता नितिन भूषण ने बताया कि उत्तराखंड में आमतौर पर बाघ मैदानी इलाकों में ही रहते हैं। अभी तक यह कार्बेट नेशनल पार्क के साथ राजाजी लैंडस्केप और इनसे लगे वन प्रभागों तक ही सिमटे हुए थे।
वह बताते हैं कि अब यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि पहाड़ में बाघ बाहर से आ रहे हैं या वे पहले से ही यहां हैं। उन्होंने बताया कि इसका पता लगाने के लिए जंगल में विभिन्न रास्तों पर कैमरे लगाने की जरूरत है।
फरवरी में होगी बाघों की गणना
उत्तराखंड में फरवरी से बाघों की गणना शुरू की जाएगी। इन दिनों अफसरों को कार्मिकों को गणना का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2017 की गणना में उत्तराखंड में 361 बाघ मिले थे, जो कि वर्ष 2014 की तुलना में 21 अधिक थे। देश में बाघों की संख्या में कर्नाटक शीर्ष पर है। यहां इनकी तादाद 403 है।
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