चमोली में बांध टूटने के बाद टिहरी बांध का पानी रोका, टरबाइन का संचालन बंद
चमोली जिले में बांध टूटने के बाद सुरक्षा की दृष्टि से टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन) प्रबंधन ने टिहरी बांध का पानी रोक दिया। प्रबंधन को आशंका थी कि अगर बांध से पानी छोड़ा जाता है तो देवप्रयाग से आगे भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ सकता था।
जागरण संवाददाता, नई टिहरी: चमोली जिले में बांध टूटने के बाद सुरक्षा की दृष्टि से टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन) प्रबंधन ने टिहरी बांध का पानी रोक दिया। प्रबंधन को आशंका थी कि अगर बांध से पानी छोड़ा जाता है तो देवप्रयाग से आगे भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ सकता था। इससे नदी किनारे की आबादी को खतरा हो सकता था। वहीं टरबाइन बंद होने से बिजली उत्पादन भी ठप हो गया।
रविवार को चमोली में बांध टूटने के बाद अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ गया। देवप्रयाग संगम में अलकनंदा और भागीरथी नदी का संगम होता है। टिहरी बांध से पानी छोडऩे के बाद भागीरथी का जलस्तर बढ़ जाता है। इन दिनों टिहरी बांध से 200 क्यूमैक्स पानी भागीरथी में छोड़ा जा रहा है। ऐसे में बांध टूटने के बाद राज्य आपदा नियंत्रण विभाग से मिले निर्देश के बाद टीएचडीसी प्रबंधन ने दोपहर 12 बजे टिहरी बांध का पानी रोक दिया। साथ ही टिहरी और कोटेश्वर बांध की सभी टरबाइन मशीनें बंद कर दी गई। इसके चलते बिजली उत्पादन भी ठप हो गया। अधिकारियों के मुताबिक एक दिन में लगभग 16 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होता है। टरबाइन बंद करने के बाद लगभग तीन से चार मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हो पाया। हालांकि बांध से सुबह और शाम के वक्त ही ज्यादा बिजली का उत्पादन होता है, क्योंकि इस दौरान ही बिजली की खपत ज्यादा होती है। दोपहर में बिजली का उत्पादन कम ही किया जाता है।
टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन के अधिशासी निदेशक वीके बडोनी का कहना हआपदा नियंत्रण विभाग से मिले निर्देश के बाद दोपहर 12 बजे भागीरथी नदी में छोड़े जाने वाला पानी रोक दिया गया था। सभी मशीनें बंद कर दी गई थी। हालांकि अब सामान्य हालात हैं। निर्देश मिलने के बाद बांध में बिजली उत्पादन फिर से शुरू कर दिया जाएगा।
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