Char Dham Yatra 2023: आसान नहीं चार धाम की यात्रा, आस्था की डगर पर डगमगा रहे श्रद्धालुओं के कदम
Char Dham Yatra 2023 इस साल खराब मौसम के कारण चार धाम यात्रा चुनौतीपूर्ण हो गई है। वर्षा-बर्फबारी होने पर तो स्थिति खतरनाक रहती ही है सामान्य दिनों में भी इन पर सफर करना आसान नहीं। बर्फ पिघलने से तीनों पैदल मार्ग पर हर समय फिसलन बनी रहती है।
गढ़वाल, जागरण टीम। केदारनाथ, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब में पैदल मार्ग श्रद्धालुओं के लिए चुनौती बने हुए हैं। वर्षा-बर्फबारी होने पर तो स्थिति खतरनाक रहती ही है, सामान्य दिनों में भी इन पर सफर करना आसान नहीं। बर्फ पिघलने से तीनों पैदल मार्ग पर हर समय फिसलन बनी रहती है। पहाड़ी से पत्थर भी गिरते रहते हैं। इसके चलते प्रतिदिन तीर्थयात्री घायल हो रहे हैं।
केदारनाथ पैदल मार्ग पर अब तक 634 तीर्थयात्री चोटिल हो चुके हैं, जबकि 19 घोड़ा-खच्चर की फिसलने से मौत हुई। यमुनोत्री पैदल मार्ग पर 470 तीर्थयात्री चोटिल हुए हैं। यहां 21 घोड़ा-खच्चर की भी मौत हुई है। हालांकि, अधिकांश बीमारी के कारण मरे। इधर, हेमकुंड साहिब पैदल मार्ग पर 20 से अधिक तीर्थयात्री फिसलने और हिमखंड की चपेट में आने से घायल हुए हैं। यहां एक महिला श्रद्धालु की हिमखंड की चपेट में आने से मौत हुई है।
फिसलन के साथ मार्ग पर गिर रहे पत्थर
गौरीकुंड से केदारनाथ धाम के बीच 16 किमी लंबे पैदल मार्ग पर जगह-जगह फिसलन है, जो यात्रियों के साथ घोड़ा-खच्चर का संतुलन बिगाड़ रही है। सर्वाधिक फिसलन लिनचोली से केदारनाथ तक पांच किमी क्षेत्र में है। यहां भैरव और कुबेर गदेरा समेत चार स्थानों पर बर्फ काटकर मार्ग बनाया गया है। ऐसे में थोड़ी सी वर्षा-बर्फबारी परेशानी खड़ी कर देती है। यहीं पर सबसे अधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं। मार्ग पर पहाड़ी से पत्थर भी गिर रहे हैं। गौरीकुंड से भीमबली तक छह किमी क्षेत्र में यह खतरा सबसे ज्यादा है।
फिसलकर चोटिल होते हैं तीर्थयात्री और घोड़ा-खच्चर
यमुनोत्री पहुंचने के लिए जानकीचट्टी से छह किमी खड़ी चढ़ाई तय करनी पड़ती है। यह पैदल मार्ग राम मंदिर, भंगेलीगाड, नौ कैंची व भैरव मंदिर के पास काफी संकरा है। भंगेलीगाड से भैरव मंदिर के बीच ढाई किमी का क्षेत्र सबसे अधिक खतरनाक है। यहां प्रतिदिन घोड़ा-खच्चर और तीर्थयात्री फिसलकर चोटिल होते हैं। इस क्षेत्र में छह स्थानों पर मार्ग की ऊंचाई काफी कम है। ऐसे में घोड़ा-खच्चर पर बैठे तीर्थयात्री को पूरी तरह झुकना पड़ता है, अन्यथा वह पहाड़ी से टकराकर चोटिल हो जाता है। कई जगह कीचड़ भी चुनौती बना हुआ है। इससे जाम की स्थिति भी बन रही है।
अटलाकोटी में ग्लेशियर बन रहे परेशानी का कारण
गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 19 किमी लंबा पैदल मार्ग काफी चुनौतीपूर्ण है। इस मार्ग पर यात्रियों को सबसे ज्यादा परेशानी अटलाकोटी ग्लेशियर में होती है। धाम से करीब दो किमी पहले स्थित इस क्षेत्र में बड़े-बड़े हिमखंड हैं। इन्हें काटकर रास्ता बनाया गया है। यहां हर समय हिमखंड टूटने की आशंका बनी रहती है। रविवार को यहां हिमखंड टूटने से एक ही परिवार के छह सदस्य उसकी चपेट में आ गए थे। इनमें से एक की मौत हो गई।
मार्ग दुरुस्त रखने के अधिकारियों को मिले निर्देश
गढ़वाल मंडल के आयुक्त सुशील कुमार ने कहा कि पैदल यात्रा मार्गों पर मौसम चुनौतियां खड़ी कर रहा है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह मार्ग दुरुस्त रखें। घोड़ा-खच्चर संचालकों को भी एहतियात के साथ तीर्थ यात्रियों को ले जाने के लिए कहा गया है। पशुओं के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं।