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यहां श्रद्धालुओं की श्रद्धा से संवरेगी सिद्धपीठ ज्वालामुखी, ये है विशेषता

अब श्रद्धालुओं की श्रद्धा से टिहरी जिले में स्थित सिद्धपीठ ज्वालामुखी मंदिर को संवारा जाएगा। इसके लिए स्थानीय लोगों ने बैठक कर कर्इ बिंदुओं पर चर्चा की।

By Edited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 02:36 PM (IST)
यहां श्रद्धालुओं की श्रद्धा से संवरेगी सिद्धपीठ ज्वालामुखी, ये है विशेषता
यहां श्रद्धालुओं की श्रद्धा से संवरेगी सिद्धपीठ ज्वालामुखी, ये है विशेषता

नई टिहरी, [जेएनएन]: सिद्धपीठ ज्वालामुखी देवढुंग का मंदिर तीन करोड़ रुपये से संवरेगा। यह सब श्रद्धालुओं के ही सहयोग से संभव हो पाया है। जल्द इस मंदिर का कार्य पूरा होने वाला है। जिसके बाद यह मंदिर नये डिजाइन में दिखेगा। श्रद्धालुओं के सहयोग से मंदिर पर अभी तक दो करोड़ से अधिक रुपये खर्च किए जा चुके हैं और इसका 80 प्रतिशत कार्य भी पूरा हो चुका है। राजस्थान के कारीगर इस मंदिर को नये ढंग से संवारने में लगे हैं। इसके पत्थर भी राजस्थान से मंगाए गए हैं। पर्यटन के लिहाज से भी यह स्थान काफी प्रसिद्ध है। 

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टिहरी जनपद में भिलंगना में सिद्धपीठ ज्वालामुखी का बहुत प्राचीन मंदिर था। इस मंदिर के प्रति क्षेत्र के लोगों की बड़ी आस्था है। क्षेत्र के लोगों ने बैठक कर मंदिर को नया स्वरूप देने का निर्णय लिया। इसके निर्माण में कितनी धनराशि खर्च होगी और यह धनराशि कैसे एकत्रित होगी इन सभी बिंदुओं पर चर्चा के बाद मंदिर निर्माण की तैयारी शुरू कर दी गर्इ। मंदिर को भव्य बनाने और नया स्वरूप देने के लिए राजस्थान से पत्थर व कारीगर मंगाए गए हैं, जो मंदिर को संवारने में जुटे हैं। 

मंदिर निर्माण के लिए क्षेत्र के लोगों ने चंदा एकत्रित किया, जिसकी जो श्रद्धा व साम‌र्थ्य है उस हिसाब से वह मंदिर निर्माण में सहयोग कर रहा है। सिद्धपीठ की नयी यज्ञशाला भी नए ढंग से तैयार की गर्इ है। मंदिर का 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है और जल्द ही श्रद्धालुओं को यह नए स्वरूप में दिखेगा। बासर व थातीकठूड़ पट्टी के गांवों के सिद्धपीठ के प्रति अटूट श्रद्धा है। लोग यहां पर वर्षभर मंदिर के दर्शन को आते हैं। श्रद्धालुओं की श्रद्धा से भी यह सब कुछ संभव हो पाया है। 

मंदिर की विशेषता 

-यहां पर चैत्र नवरात्रि को नौ दिन का मेला अयोजित होता है। 

-घने देवदार व चीड़ के जंगल के बीच स्थित है। 

-ग्रामीण हर तीसरे साल यहां की यात्रा करते हैं। 

-जनता के दर्शन को वर्ष भर कपाट खुले रहते हैं। 

-काफी रमणीक स्थान है। 

मंदिर समिति के अध्यक्ष बचलसिंह का कहना है कि सिद्धपीठ देवढुंग के प्रति क्षेत्र के लोगों की अटूट श्रद्धा है। इसी का परिणाम है कि आज श्रद्धालुओं के सहयोग से ही मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। प्रयास किया जा रहा है कि शेष कार्य भी जल्द पूरा हो। 

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