रिश्तों का सच : मां-बाप की अनबन ने छीना बचपन, तलाक के बाद दोनों में से कोई बच्चों को साथ रखने को राजी नहीं
Tehri News मामला तलाक तक पहुंचा तो दोनों की अनबन में चार नाबालिग बच्चों का बचपन छिन गया। मामला न्यायालय के आदेश पर बाल कल्याण समिति के पास पहुंचा। तब माता-पिता दो-दो बच्चों को अपने साथ रखने पर सहमत तो हो गए।
जागरण संवाददाता, नई टिहरी : Tehri News : माता-पिता के रिश्तों की नाजुक डोर उस मोड़ पर टूट गई जब बच्चों को उनकी छत्र-छाया की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। मामला तलाक तक पहुंचा तो दोनों की अनबन में चार नाबालिग बच्चों का बचपन छिन गया।
जिगर के टुकड़ों को जब माता-पिता अपने साथ रखने को तैयार नहीं हुए तो मामला न्यायालय के आदेश पर बाल कल्याण समिति के पास पहुंचा।
मासूम भाई-बहन भी दो अलग-अलग घरों में बंट गए
समिति के हस्तक्षेप पर माता-पिता दो-दो बच्चों को अपने साथ रखने पर सहमत तो हो गए। लेकिन, मां-बाप के साथ कभी एक आंगन में साथ खेलने वाले मासूम भाई-बहन भी दो अलग-अलग घरों में बंट गए।
अपनी मर्जी से बनाए रिश्ते में मां-बाप ने जो चाहा वो तो हो गया। लेकिन, कुदरत के बनाए रिश्ते में शायद मासूम कभी नहीं चाहते कि परिवार बिखरे और बच्चों को इस तरह एक-दूसरे से बिछड़ना पड़े।
पत्नी अपने चारों बच्चों को लेकर मायके में रह रही थी
जनपद टिहरी गढ़वाल के भिलंगना ब्लाक के एक गांव निवासी दंपती के बीच काफी समय से मनमुटाव चल रहा था। दंपती की दो बेटियां और दो बेटे हैं, जो अभी नाबालिग हैं। बड़ी बेटी 11 साल की है और छोटा बेटा पांच साल का है।
पति से झगड़े के बाद पत्नी अपने चारों बच्चों को लेकर मायके में रह रही थी। इस दौरान कुछ समय पहले पति पत्नी के मायके पहुंचा और वहां से अपने चारों बच्चों को लेकर अपने घर आ गया। इस दौरान पत्नी ने न्यायालय में तलाक का मुकदमा दायर कर दिया।
बीती 20 दिसंबर को न्यायालय ने पत्नी के पक्ष में तलाक का आदेश दिया। जिसके बाद पति ने न्यायालय में शिकायत कर कहा कि तलाक के बाद वह बच्चों को नहीं पाल सकता है। क्योंकि पत्नी ने तलाक का मुकदमा किया है। इसलिए बच्चों को वही पालेगी।
न्यायालय ने मामला बाल कल्याण समिति के पास भेज दिया
पत्नी का कहना था कि बच्चों को पति अपने साथ ले गया है तो अब बच्चों को वही पालेगा। इसके बाद न्यायालय ने मामला बाल कल्याण समिति के पास भेज दिया। जिसके बाद बाल कल्याण समिति ने पति-पत्नी को तलब किया और दोनों को समझाया। जिसके बाद दोनों दंपती दो-दो बच्चों को अपने साथ रखने पर सहमत हुए।
बाल कल्याण समिति टिहरी गढ़वाल के सदस्य एलपी उनियाल, महिपाल सिंह नेगी, रागिनी भट्ट, अमिता रावत, जिला प्रोबेशन अधिकारी बबीता शाह, सीडीपीओ शोएब, बाल कल्याण अधिकारी विनीता उनियाल और चाइल्ड लाइन के जेपी बडोनी के सहयोग के बाद दोनों को एक-एक बालक व एक-एक बालिका की जिम्मेदारी दी गई। समिति ने बच्चों को भी इस दौरान कोई समस्या आने पर चाइल्ड हेल्प लाइन में शिकायत करने की जानकारी दी।
इस मामले में पति-पत्नी को समझाया गया, जिसके बाद दोनों दो-दो बच्चों को रखने पर सहमत हुए। अगर ऐसा नहीं करते तो चारों बच्चों के पालन-पोषण का संकट खड़ा हो रहा था। बच्चों को बाल निकेतन भेजना भी उचित नहीं होता।
- महिपाल सिंह नेगी, सदस्य, बाल कल्याण समिति टिहरी गढ़वाल