Move to Jagran APP

रॉकफिल तकनीक से सुरक्षित है टिहरी बांध

टिहरी बांध रॉकफिल तकनीक से बना देश का सबसे ऊंचा बांध है। 1978 में टिहरी बांध का निर्माण शुरू हुआ था और वर्ष 2006 में बांध से बिजली उत्पादन भी शुरू कर दिया गया था।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2021 03:00 AM (IST)
रॉकफिल तकनीक से सुरक्षित है टिहरी बांध
रॉकफिल तकनीक से सुरक्षित है टिहरी बांध

अनुराग उनियाल, नई टिहरी

loksabha election banner

टिहरी बांध रॉकफिल तकनीक से बना देश का सबसे ऊंचा बांध है। 1978 में टिहरी बांध का निर्माण शुरू हुआ था और वर्ष 2006 में बांध से बिजली उत्पादन भी शुरू कर दिया गया था। रॉकफिल तकनीक से बना होने के कारण टिहरी बांध सुरक्षा की दृष्टि से काफी मजबूत है और आठ रिएक्टर क्षमता तक के भूकंप को भी झेल सकता है।

भागीरथी नदी में 260 मीटर की ऊंचाई पर टिहरी बांध बनाया गया है। 2400 मेगावाट की इस परियोजना के तहत टिहरी बांध से एक हजार मेगावाट, कोटेश्वर बांध से चार सौ मेगावाट और निर्माणाधीन पंप स्टोरेज प्लांट से एक हजार मेगावाट बिजली उत्पादन होना है। आमतौर पर बांध का जलाशय बनाने के लिए कंक्रीट की दीवार ही बनाई जाती है। लेकिन, टिहरी बांध का पानी रोकने की दीवार में सिर्फ मिट्टी और पत्थर भरे गए हैं। रिवर बैंड पर 1125 मीटर चौड़ी इस दीवार की शीर्ष की चौड़ाई 30.5 मीटर है। 575 मीटर लंबी दीवार के ऊपर से ही वाहनों की आवाजाही की जाती है। टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक वीके बडोनी ने बताया कि रॉकफिल तकनीक के तहत मिट्टी और पत्थर से बांध की दीवार बनाई गई है। इससे भूकंप या अन्य कोई आपदा आने से दरारें पड़ने का खतरा नहीं रहता है। सिल्ट फ्री है टिहरी बांध

टिहरी बांध का जलाशय 42 वर्गकिमी में फैला है। टिहरी बांध की विशालकाय झील में रेत और सिल्ट बहकर आती है, लेकिन यह बांध की टरबाइन तक नहीं पहुंच पाती। आमतौर पर हाइड्रो प्रोजेक्ट में गाद और रेत आने के कारण टरबाइन खराब हो जाती है, लेकिन टिहरी बांध की विशाल झील के कारण रेत और गाद चिन्यालीसौड़ और पिलखी के पास ही जमा हो जाती है। इससे टरबाइन को कोई खतरा नहीं रहता है। केदारनाथ आपदा में भी मददगार बना था टिहरी बांध: वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा के दौरान जब अलकनंदा और भागीरथी उफान पर थी, उस दौरान टीएचडीसी प्रबंधन ने टिहरी बांध से पानी छोड़ना बंद कर दिया था। उत्तरकाशी से उफनता भागीरथी का पानी टिहरी झील में ही रोक दिया गया था, जिससे देवप्रयाग से आगे भागीरथी का जलस्तर नहीं बढ़ पाया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.