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शिक्षक बनकर निश्शुल्क कोचिग दे रहे थाना प्रभारी

अनुराग उनियाल नई टिहरी बचपन में खेतों में काम करते वक्त अधिकारी बनने का सपना देखने वाले अ

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 11:14 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 06:18 AM (IST)
शिक्षक बनकर निश्शुल्क कोचिग दे रहे थाना प्रभारी
शिक्षक बनकर निश्शुल्क कोचिग दे रहे थाना प्रभारी

अनुराग उनियाल, नई टिहरी: बचपन में खेतों में काम करते वक्त अधिकारी बनने का सपना देखने वाले आरके सकलानी को किसी बेहतर संस्थान में कभी कोचिग करने का मौका नहीं मिल पाया। क्योंकि उनका ताल्लुक एक मध्यम वर्गीय परिवार से था। उन्होंने अपने कोचिग के सपने को तो दम तोड़ते देखा पर आज वह अपने अंदर छुपी शिक्षण प्रतिभा से सैकड़ों युवाओं के सपने पूरे कर रहे हैं। मुनि की रेती थाना के प्रभारी निरीक्षक आरके सकलानी पिछले ढाई साल से नरेंद्र नगर, मुनि की रेती और उसके आसपास के गांवों में रहने वाले लगभग 600 युवाओं को निश्शुल्क कोचिग देकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवा चुके हैं।

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किसी भी पुलिसकर्मी के दिन की शुरुआत आमतौर पर थाना, चौकी से ही होती है। लेकिन, प्रभारी निरीक्षक आरके सकलानी की शुरुआत हर दिन एक अनोखी पाठशाला से होती है, जहां पर वह इंस्पेक्टर नहीं बल्कि एक शिक्षक के रूप में नजर आते हैं। वर्ष 2018 से नरेंद्रनगर थाने में इंस्पेक्टर पद पर तैनात आरके सकलानी ने नरेंद्रनगर नगर पालिका के बरातघर से निश्शुल्क कोचिग देने की शुरुआत की। नरेंद्रनगर और उसके आसपास के गांवों के लगभग 100 बारहवीं पास छात्र-छात्राओं को सुबह आठ बजे से साढ़े नौ बजे तक कोचिग देते थे। उसके बाद मुनि की रेती थाना में तबादला होने के बाद उन्होंने ऋषिकेश में युवाओं के अंदर बढ़ती नशे की प्रवृत्ति को देखकर सेना, पुलिस और अ‌र्द्धसैनिक बलों में भर्ती के लिए शारीरिक प्रशिक्षण भी देना शुरू कर दिया। प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं को वह अपने प्रयासों से निश्शुल्क प्रतियोगी पुस्तकों को भी उपलब्ध करवाने के साथ-साथ ऑनलाइन तैयारी में भी व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से सहयोग करते हैं। सकलानी बताते हैं कि अपने स्कूल और कालेज के दिनों में उन्हें कोचिग की सुविधा नहीं मिल पाई। मूल रूप से टिहरी गढ़वाल के हवेली गांव के रहने वाले आरके सकलानी कहते हैं कि आजादी के समय उनके पूर्वज देहरादून के पॉवाला सौड़ा गांव थानो में बस गए थे। वहां पर उन्होंने खेती, किसानी और गांव का साधारण जीवन जिया। अपने स्तर से ही उन्होंने पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की। बीएड और बीटीसी करने के बाद 2002 में उनका उत्तराखंड पुलिस में एसआइ के पद पर चयन हो गया। हालांकि इससे पहले उनका अल्मोड़ा राजकीय इंटर कॉलेज अगरपुर में नौकरी लग गई, लेकिन समाज के लिए बेहतर करने के उद्देश्य से उन्होंने ज्वाइन नहीं किया और पुलिस में आ गए। पुलिस महकमे में होने के बावजूद वह युवाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरे हैं।

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डेढ़ दर्जन छात्र हो चुके हैं चयनित

सकलानी के पढ़ाए लगभग डेढ़ दर्जन छात्र विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो चुके हैं। आरके सकलानी ने बताया कि उनके पढ़ाए छात्र पैरामिलिट्री, सेना, होमगार्ड में चयनित हो चुके हैं। आगामी पुलिस भर्ती में उन्हें अपने पढ़ाए युवाओं से काफी अपेक्षाएं है। यही नहीं, कई छात्र उनसे प्रेरणा लेकर दिल्ली और देहरादून में भी उच्च सेवाओं की तैयारी कर रहे हैं।

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ये है सोच

सकलानी का कहना है सवाल यह नहीं है कि कितने छात्र चयनित हुए। बात यह है कि कितनों को हमने नकारात्मकता से बचाया है, इसीलिए उनका उद्देश्य केवल सेना और पुलिस का प्रशिक्षण देना नहीं है, बल्कि युवाओं के अंदर सकारात्मकता का संचार करना है। आज संभव नहीं है कि हर युवा सरकारी नौकरी लग पाए, इसलिए सकलानी युवाओं को डेयरी, पोल्ट्री, पॉली हाउस, बागवानी आदि क्षेत्रों में स्वरोजगार अपनाने के लिए भी खासा प्रयासरत हैं। नरेंद्र नगर में पहली डेयरी कुंजापुरी डेयरी भी उन्हीं के छात्र कुलवीर ने खोली और आज स्वावलंबी बन चुका है। इन्हीं के प्रयासों से आज पूरे उत्तराखंड से 12000 से अधिक युवा उनसे ऑनलाइन जुड़कर न सिर्फ कॅरियर संबंधी समस्याओं का समाधान जान रहे हैं, बल्कि हर प्रकार की कानूनी समस्याओं में भी खुलकर सलाह लेते हैं।


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