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कोरियाई इंजीनियर को लोनिवि ने फिर बुलाया

जागरण संवाददाता, नई टिहरी: देश का सबसे बड़ा सस्पेंशन डोबरा-चांटी पुल का निर्माण पुल के

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 03:01 AM (IST)
कोरियाई इंजीनियर को लोनिवि ने फिर बुलाया
कोरियाई इंजीनियर को लोनिवि ने फिर बुलाया

जागरण संवाददाता, नई टिहरी: देश का सबसे बड़ा सस्पेंशन डोबरा-चांटी पुल का निर्माण पुल के सस्पेंडर टूटने के बाद फिर से बंद हो गया है। अब लोनिवि ने दक्षिण कोरिया के इंजीनियर जैकी किम को फिर से टिहरी बुलाया है। अब विदेशी इंजीनियर पुल में हुए हादसे की जांच करेंगे और उसके बाद आगे सुरक्षा प्रबंध के साथ पुल का निर्माण शुरू किया जाएगा। संभवत: बुधवार को विदेशी इंजीनियर टिहरी पहुंच जाएंगे।

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टिहरी झील में वर्ष 2006 से शुरू हुआ डोबरा-चांटी पुल का निर्माण इन दिनों फिर से बंद है। पिछले महीने ही पुल का इरेक्शन वर्क यानि पुल को जोड़ने का काम शुरू किया गया था। 23 अगस्त को पुल के तीन सस्पेंडर यानि पुल को लटकाने वाले लोहे के मोटे रस्से अचानक टूट गए और पुल का डेक टेढ़ा हो गया, जिसके बाद लोनिवि ने पुल के इरेक्शन का काम रोक दिया है। अब वहां पर मात्र सिविल वर्क किया जा रहा है। पुल के सस्पेंडर टूटने के बाद लोनिवि ने पुल के अंतर्राष्ट्रीय डिजाइनर दक्षिण कोरिया की योसीन कंपनी के जैकी किम को फिर से टिहरी बुलाया है। उन्हें पुल पर हुए हादसे की रिपोर्ट भी दी गई है और उनसे सुरक्षा प्रबंधों के बारे में जानकारी ली जाएगी। संभवत: जैकी किम बुधवार को टिहरी पहुंच जाएंगे। इसके बाद वह पुल का निरीक्षण कर टूटे सस्पेंडर की जानकारी लेकर आगे के काम के लिए योजना बनाएंगे। लोनिवि का कहना है कि डिजाइनर आगे बताएंगे कि किस तरह पुल के अन्य सस्पेंडर जोड़े जाएं, ताकि कोई हादसा न हो। संभवत बीस सितंबर के बाद से ही आगे का काम शुरू किया जाएगा। डोबरा पुल की कहानी

वर्ष 2006 में टिहरी झील में डोबरा पुल बनना शुरू हुआ था, लेकिन गलत डिजाइन के कारण कुछ साल में ही पुल का निर्माण कार्य रोक दिया गया। इस दौरान एक अरब 32 करोड़ रुपये पुल पर खर्च किए गए लेकिन पुल नहीं बन पाया। इसके बाद वर्ष 2014 में उत्तराखंड सरकार ने पुल के डिजाइन के लिए अंतर्राष्ट्रीय टेंडर किए और दक्षिण कोरिया की योसीन कंपनी ने पुल का नया डिजाइन बनाया और उसके बाद फिर से पुल का काम शुरू हुआ। तेजी से इन दिनों पुल का काम चल रहा था, लेकिन सस्पेंडर टूटने से फिर से काम बंद हो गया है। पुल बनने से प्रतापनगर ब्लॉक की डेढ़ लाख की आबादी को लाभ होगा। फिलहाल प्रतापनगर जाने वाले लोगों को पीपलडाली या भल्डयाणा से लगभग तीन घंटे का सफर करके जाना पड़ता है। पुल बनने से लोग डेढ़ घंटे में टिहरी से प्रतापनगर पहुंच सकेंगे।

पुल के सस्पेंडर टूटने के कारण इरेक्शन का काम अभी रोका गया है। बुधवार को शायद दक्षिण कोरिया के डिजाइनर टिहरी पहुंच जाएंगे। इसके बाद उनके निर्देश पर ही आगे का काम शुरू किया जाएगा।

केएस असवाल, अधिशासी अभियंता, लोनिवि निर्माण खंड टिहरी गढ़वाल


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