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विश्वभर में हिदी के माथे पर बिंदी सजा रहे प्रो.भट्ट

हिदी को विश्वभर में पहचान दिलाने के लिए टिहरी जिले के भिलंगना ब्लाक स्थित भल्डगांव निवासी प्रोफेसर रामप्रसाद भट्ट प्राण-प्रण से जुटे हुए हैं। हिदी गहन अध्ययन नाम से कार्यक्रम चलाने के साथ ही वे विश्व के कई देशों के सैकड़ों छात्रों को हिंदी पढ़ा रहे हैं। उनकी पत्नी ऋतु भट्ट और बेटी अनिका भी जर्मनी में ही रहते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 10:17 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 10:17 PM (IST)
विश्वभर में हिदी के माथे पर बिंदी सजा रहे प्रो.भट्ट
विश्वभर में हिदी के माथे पर बिंदी सजा रहे प्रो.भट्ट

जागरण संवाददाता, नई टिहरी: हिदी को विश्वभर में पहचान दिलाने के लिए टिहरी जिले के भिलंगना ब्लाक स्थित भल्डगांव निवासी प्रोफेसर रामप्रसाद भट्ट प्राण-प्रण से जुटे हुए हैं। 'हिदी गहन अध्ययन' नाम से कार्यक्रम चलाने के साथ ही वे विश्व के कई देशों के सैकड़ों छात्रों को हिंदी पढ़ा रहे हैं। उनकी पत्नी ऋतु भट्ट और बेटी अनिका भी जर्मनी में ही रहते हैं।

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प्रो.भट्ट की प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई। राजकीय इंटर कालेज लाटा चमियाला से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे श्रीनगर स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय पहुंचे। यहां से वर्ष 2006 में उन्होंने हिदी विषय में पीएचडी की और फिर मसूरी के एक स्कूल में पढ़ाने लगे। इसी दौरान उनकी मुलाकात एक जर्मन महिला से हुई, जिसने उन्हें जर्मनी आने के लिए कहा। तब से वे जर्मनी के हैम्बर्ग विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे हैं।

प्रो. भट्ट ने बताया कि हिदी से पीएचडी करने के बाद उनके मन में विचार आया कि हिदी को विश्वभर में पहचान दिलाने के लिए कुछ अलग करना होगा। यहीं से हुई 'हिदी गहन अध्ययन' नाम से कार्यक्रम की शुरुआत। इसके तहत अभी तक 700 से ज्यादा छात्र हिदी की पढ़ाई कर चुके हैं। इनमें डेनमार्क, पोलैंड, इटली, नीदरलैंड आदि देशों के छात्र शामिल हैं। इसके अलावा जर्मनी के हैम्बर्ग विश्वविद्यालय के नियमित पाठ्यक्रम के तहत भी सैकड़ों छात्र हिदी पढ़ रहे हैं। प्रो.भट्ट कहते हैं कि हिदी को बढ़ावा देना उनका एकमात्र ध्येय है। इसमें सभी के सहयोग से सफलता भी मिल रही है। हिदी के साथ-साथ लोकभाषा गढ़वाली के प्रसार के लिए भी वे योजनाएं बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

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हैम्बर्ग में सौ साल पहले से पढ़ाई जा रही हिदी

प्रो.भट्ट बताते हैं कि वर्ष 1922 में हैम्बर्ग विवि के भारतीय विद्या विभाग मे स्कालर का पद सृजित कर दिया गया था। आज वह इसी पद पर काम कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि हिदी को लेकर विदेश में पहले से ही काफी गंभीरता रही। हमारे शोध में पता चला है कि हिदी का पहला व्याकरण वर्ष 1698 में सूरत (गुजरात) में लिखा गया था। एक एक डच व्यक्ति ने लिखा था।

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उत्तराखंड में रहते हैं भाई

प्रो. भट्ट के बड़े भाई जगदीश प्रसाद भट्ट मसूरी में रहते हैं, जबकि मंझले भाई गुरु भट्ट चिकित्सक हैं और चिन्यालीसौड़ में अपना क्लीनिक चलाते हैं। प्रो.भट्ट के पिता रुद्रीदत्त और माता डबली देवी का निधन हो चुका है।


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