नहीं हुआ खेतों व मकानों की सुरक्षा का कार्य
संवाद सहयोगी चंबा दूरस्थ के गांवों की सुध लेने वाला कोई नहीं है तभी तो बागी-मठियाण गांव
संवाद सहयोगी, चंबा : दूरस्थ के गांवों की सुध लेने वाला कोई नहीं है, तभी तो बागी-मठियाण गांव में आपदा के पांच साल बाद भी गदेरे के दोनों ओर खेतों व मकानों की सुरक्षा का कार्य नहीं हो पाया है, जिससे ग्रामीण अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि कभी गदेरे में फिर बाढ़ आई तो भारी नुकसान होगा।
प्रखंड के अंतर्गत आपदा प्रभावित बागी व मठियाण गांव की गदेरे के दोनों ओर खेतों व मकानों की सुरक्षा का जो कार्य होना था, वह पांच साल बाद भी नहीं हो पाया है। जिससे ग्रामीणों में शासन-प्रशासन के प्रति रोष है। उनका कहना है कि यदि गदेरे में फिर कभी बाढ़ आई तो खेतों के अलावा मकानों को भी भारी नुकसान होगा। जब कभी भारी बारिश होती है तो ग्रामीण चितित हो जाते हैं कि पहले की तरह बाढ़ न आ जाए। अगस्त 2014 में प्रखंड चंबा के बागी व मठियाण गांव के गदेरे में ंभयंकर बाढ़ आई थी, जिससे गदेरे के दोनों ओर बसे आधा दर्जन लोगों के मकान क्षतिग्रस्त हो गये थे। साथ ही उनकी सैकड़ों नाली कृषि भूमि भी बह गई थी। यहां आपदा से सौ से अधिक परिवार प्रभावित हुए थे। उस समय प्रशासन के उच्चाधिकारियों के अलावा जनप्रतिनिधियों ने भी प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण कर प्रभावितों को आश्वासन दिया था कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। ग्रामीणों की मांग थी कि नदी के दोनों ओर उनके मकानों व खेतों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा दीवार, चेकडैम आदि का निर्माण कराया जाए, ताकि भविष्य के लिए कोई खतरा न रहे। उस समय प्रशासन की ओर से कहा गया था कि मनरेगा आदि योजनाओं के माध्यम से नदी के दोनों ओर सुरक्षा का कार्य कराया जाएगा। लेकिन वह कार्य आज तक नहीं कराया गया। करीब तीन किमी तक यह कार्य होना था। ग्रामीण राजेन्द्र प्रसाद, बलवंत सिंह आदि का कहना है कि दर्जनों बार लिखित और मौखिक रूप से प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी सुरक्षा का कार्य नहीं कराया गया। उन्होंने नाराजगी प्रकट कर कहा कि शासन-प्रशासन की ओर से उनकी उपेक्षा की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि जब चुनाव होते हैं तो वोट मांगने बहुत लोग आते हैं, लेकिन जब समस्या के समाधान की मांग करते हैं तो कोई ध्यान नहीं देता है। वहीं इस बारे में खंड विकास अधिकारी मान सिंह राणा का कहना है कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है, वैसे भी यह पहले का मामला है।