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दफन होती जिदगी की परवाह इन्हें कहां

दीपक श्रीयाल घनसाली (टिहरी) आपदा की ²ष्टि से अति संवेदनशील घनसाली विधानसभा के गांवों में द

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Apr 2019 04:43 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 06:35 AM (IST)
दफन होती जिदगी की परवाह इन्हें कहां
दफन होती जिदगी की परवाह इन्हें कहां

दीपक श्रीयाल, घनसाली (टिहरी) आपदा की ²ष्टि से अति संवेदनशील घनसाली विधानसभा के गांवों में दफन होती जिदगी को बचाने के लिए अभी तक कोई ठोस इंतजाम तक नहीं हुए हैं। अति संवेदनशील गांवों को सुरक्षित ठिकानों पर विस्थापित करने की योजनाएं भी महज फाइलों में कैद होकर रह गई है। घनसाली विधानसभा की आपदा घटनाओं पर नजर डालें तो पिछले 18 सालों में 38 लोग जलजले में जिदा दफन हुए हैं।

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उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां अलग से आपदा प्रबंधन मंत्रालय वजूद में है। मगर आपदा प्रबंधन के मोर्चे पर सरकारी कोशिशें महज कागजों में ही चल रही हैं। संवेदनशील श्रेणी में चिह्नित आपदा प्रभावित गांवों के विस्थापन की अधूरी कवायद इसका उदाहरण है। टिहरी लोकसभा के अंतर्गत घनसाली विधानसभा के 15 गांवों के एक हजार परिवार आज भी विस्थापन की राह देख रहे हैं। विस्थापन की प्रक्रिया केवल कागजी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर मौत के मुहाने पर बैठे इन गांवों के आठ सौ परिवारों को कब और कैसे सुरक्षित ठिकाने मिलेंगे। घनसाली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आपदा की मार झेल चुके गांवों की बात करें तो यहां राज्य बनने के बाद से ही आपदा के घाव मिलने लगने थे। वर्ष 2000 से लेकर अभी तक छोटी-बड़ी 12 से अधिक बादल फटने जैसी आपदाएं आ चुकी हैं। सबसे अधिक नुकसान वर्ष 2002 में हुआ। अगुंडा और मेंड मरवाड़ी में बादल फटने के कारण 18 लोग मलबे में जिदा दफन हुए। उस समय इन क्षेत्रों का दौरान करने और बड़े-बड़े दावे करने के लिए प्रदेश स्तर के नेता इन गांवों में पहुंचे। विस्थापन के दावे हुए लेकिन, आज तक एक भी परिवार का विस्थापन नहीं हो पाया। इसी तरह की स्थितियां वर्ष 2010, 2013, 2014, 2016 तथा 2018 में आई बड़ी आपदा वाले अन्य गांवों की हुई। स्थिति यह है कि वर्ष 2016 में कोठियाड़ा में आई आपदा के बाद प्रभावित परिवारों ने पलायन कर दिया। उपजिलाधिकारी पीआर चौहान का कहना है कि घनसाली तहसील के करीब 15 गांव व कुछ तोक विस्थापन की सूची में शामिल थे। लेकिन, भूगर्भीय सर्वे के बाद अगुंडा, इंद्रोला व कोट गांव के विस्थापन की कार्रवाई शुरू की गई। ये हैं प्रभावित गांव

गोना, कोटी, अगुंडा, मेड़, मरवाड़ी, इंद्रोला, जमोलना, कोट, बौर, जखन्याली का नोताड़ तोक, गोजियाणा, कोठियाड़ा आदि गांव शामिल हैं

घनसाली क्षेत्र में घटित हुई बड़ी आपदाएं-

-29 अगस्त 2018 को कोट गांव में एक ही परिवार के सात लोगों की मौत हुई,

-28 मई 2016 को केमर पट्टी के कोठियाड़ा के निकट बादल फटा, नुकसान-69 परिवारों के मकान ढहे, 100 से अधिक मवेशी मलबे में दबे, खेती भी तबाह हुई।

-31 जुलाई 2014 को आई आपदा से नैलचामी पट्टी के जखन्याली गांव में छह लोगों की मौत हुई।

-2013 में इंद्रोला गांव में भूस्खलन होने से 54 परिवारों के मकानों पर दरारें पड़ी, एक मकान टूटने से एक बच्ची की मौत

-2010 में मेड- मरवाड़ी गांव के निकट जमीन धंसने के कारण 54 मकानों खतरे की जद में आए।

-2002 में घनसाली विधानसभा के सुदूरवर्ती गांव अगुंडा में बादल फटा, नुकसान- गांव के 8 लोगों दबने से मौत, कई मवेशी भी मलबे में दबे।

-2002 में मेड़ और मरवाड़ी में आपदा आने से 10 लोगों की मौत हुई है।

-2000 में गोना गांव के पास बादल फटने से कई मकान टूटे, इस घटना में 5 लोगों की मौत हुई थी।


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