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गंगोत्री राजमार्ग पर नए स्लाइडिग जोन ने खड़ी की मुश्किलें

जागरण संवाददाता नई टिहरी ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर अब नए स्लाइडिग और डेंजर जोन यात्रिय

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 03:00 AM (IST)
गंगोत्री राजमार्ग पर नए स्लाइडिग जोन ने खड़ी की मुश्किलें
गंगोत्री राजमार्ग पर नए स्लाइडिग जोन ने खड़ी की मुश्किलें

जागरण संवाददाता, नई टिहरी: ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर अब नए स्लाइडिग और डेंजर जोन यात्रियों के लिए मुसीबत का सबब बन रहे हैं। आलवेदर रोड निर्माण के बाद नए डेंजर और स्लाइडिग जोन के कारण इस मानसून सीजन राजमार्ग बाधित रहने से वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक गंगोत्री राजमार्ग पर ऋषिकेश से धरासू बैंड से पहले तक लगभग 23 स्थानों पर डेंजर जोन हैं।

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टिहरी जिले में आलवेदर रोड का निर्माण अंतिम दौर में है, लेकिन आलवेदर रोड बनने के बाद अभी भी वाहन चालकों के लिए नए डेंजर जोन खतरा बने हुए हैं। मानसून शुरू होने से पहले बीते मार्च माह में जिला प्रशासन ने ऋषिकेश-गंगोत्री और ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग के टिहरी जिले में पड़ने वाले हिस्से का सर्वे कराया था। सर्वे में गंगोत्री राजमार्ग पर 23 डेंजर जोन चिह्नित किए गए थे। मानसून के दौरान तेज बारिश में यहां भूस्खलन और मलबा आने से वाहनों के लिए हर वक्त खतरा बना हुआ है। फकोट के पास भिन्नू गदेरे में तो राजमार्ग का 40 मीटर हिस्सा ही बह गया। इसके कारण चार दिन तक हाईवे पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद रही। बीती जनवरी से सितंबर माह तक अलग-अलग हादसों में नौ नागरिकों की मौत हुई। राजमार्ग बंद होने के बाद जिले में आने वाले यात्रियों को वाया मसूरी सफर करना पड़ रहा है, जिससे समय ज्यादा लग रहा है, वहीं सफर महंगा भी साबित हो रहा है।

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राजमार्ग पर मानसून में ज्यादा बारिश से कुछ स्थानों पर नए स्लाइडिग जोन बन गए हैं। वहां ट्रीटमेंट का काम किया जा रहा है। पहाड़ से आने वाला मलबा ज्यादा बड़ी परेशानी है।

इवा आशीष श्रीवास्तव, जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल

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कार्य की गुणवत्ता पर भी सवाल

आलवेदर रोड के निर्माण को लेकर स्थानीय निवासी और जन प्रतिनिधि लगातार सवाल उठाते रहे हैं। बीते जुलाई माह में बरसात शुरू होते ही चंबा में आलवेदर रोड की भूमिगत सुरंग के पास राजमार्ग का लगभग डेढ़ सौ मीटर हिस्सा बह गया था। इसके बाद चंबा में लगभग 25 से ज्यादा मकानों को खतरा पैदा हो गया था। मामले में स्थानीय ग्रामीणों ने निर्माण कंपनी पर घटिया गुणवत्ता का काम करने का आरोप लगाया था।

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ये हैं प्रमुख कमियां

- कटिग के बाद पहाड़ से लगातार मलबा आना।

- कई जगह क्रैश बैरियर न होना।

- सड़क किनारे मलबा होना।

- पहाड़ के ऊपर अटकी चट्टानें।

- सड़क संकरी होना।

- सड़क का डामरीकरण उखड़ना

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यहां ज्यादा खतरा

बगड़धार सोनी गांव, फकोट भिन्नू गदेरा, बेमर, बेमुंडा, गोजमीर, नगुण गाड, रमोलधार, ढिक्यारा, रिखेड़ीखाला, स्यांसू, कमांद, नेरसी, कुनेर, रतनौगाड, किल्याखाल, कांडीखाल, डाबरी, रामगढ़, धारकोट।


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