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इस पर्वत पर गिरे थे देवी सती के बाल, पढ़ें खबर

सिद्धपीठ मां कुंजापुरी ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के आगराखाल में स्थिति है। मान्‍यता है कि यहां देवी सती के बाल (कुंज) गिरे थे। यहां नवरात्र पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।

By sunil negiEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2015 06:44 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2015 09:18 PM (IST)
इस पर्वत पर गिरे थे देवी सती के बाल, पढ़ें खबर

नई टिहरी। सिद्धपीठ मां कुंजापुरी ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के आगराखाल में स्थिति है। मान्यता है कि यहां देवी सती के बाल (कुंज) गिरे थे। यहां नवरात्र पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।
स्कंध पुराण के केदारखंड के अनुसार पौराणिक काल में कनखल हरिद्वार में दक्ष प्रजापति ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया था, जिसमें सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया लेकिन उसमें शंकर व अपनी पुत्री सती को निमंत्रण नहीं दिया गया। जब सती को यज्ञ का पता चला तो वह उसमें शामिल होने कनखल चली गई।

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यज्ञ में शिव का अपमान देख यज्ञ कुंड में आहुति दे दी। शिव को जब यह पता चला तो वह हरिद्वार पहुंचे और यहां से सती का शरीर लेकर कैलाश की ओर चल पड़े सती का शव रास्ते में टूट कर जगह-जगह गिरता रहा कुंजापुरी में सती के कुंज गिरे जिस कारण इसका नाम कुंजापुरी पड़ा।

सिद्धपीठ में हर वर्ष नवरात्रि पर कुंजापुरी पर्यटन विकास मेले के नाम से मेला आयोजित होता है। मंदिर वर्ष 1974 से यह मेला आरंभ हुआ था। यहां से बंदर पूंछ, चौखंबा, नीलकंठ, सुंरकंडा आदि विहंगम व धार्मिक स्थलों के दर्शन होते हैं। कुंजापुरी मंदिर के पुजारी राजेंद्र भंडारी ने बताया कि मंदिर में सुबह शाम विधिवत पूजा की जाती है। सुबह को मूर्ति को स्नान करवाने के बाद पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्र पर्व के अवसर पर मंदिर में बाहर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

कैसे पहुंचे मंदिर
ऋषिकेश से 16 किमी की दूरी तय कर नरेंद्रनगर पहुंचा जा सकता है। यहां से फिर 11 किमी आगे हिंडोलाखाल तक बस सेवा है। यहां से मंदिर परिसर तक छोटे वाहन से जा सकता है। यहां से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन ऋषिकेश पड़ता है, जबकि हवाई सेवा जौलीग्रांट तक है।
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