बर्फ पिघलने के बाद टिहरी में पहली बार होगी बाघों की गणना
अनुराग उनियाल, नई टिहरी खत¨लग ग्लेशियर के आधार स्थल खरसोली में बाघों के वास स्थल और स
अनुराग उनियाल, नई टिहरी
खत¨लग ग्लेशियर के आधार स्थल खरसोली में बाघों के वास स्थल और सही संख्या का सर्वे बर्फ पिघलने के बाद अप्रैल में कराने के लिए वन विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए टिहरी जिले के 40 वन दारोगाओं को पहले चरण का प्रशिक्षण दे दिया गया है। अब फील्ड सर्वे के लिए जल्द ही प्रशिक्षण शुरू किया जाएगा। बीते वर्ष अप्रैल में डब्ल्यूआइआइ (वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) की ओर से खरसोली में लगाए कैमरा ट्रैप में बाघ की तस्वीर कैद हुई थी। इसके बाद पहली बार टिहरी में भी बाघों की गणना का निर्णय लिया गया।
टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक में समुद्रतल से 3717 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है खत¨लग ग्लेशियर। घुत्तू के पास रीह गांव से गंगी गांव तक करीब 12 किमी की दूरी पैदल तय करने के बाद खत¨लग ग्लेशियर का ट्रैक शुरू होता है। गंगी से लगभग 27 किमी दूर स्थित वन विभाग की पोस्ट खरसोली में बीते वर्ष डब्ल्यूआइआइ की टीम ने हिमालयी क्षेत्र में वन्य जीवों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए कैमरा ट्रैप लगाए थे। इसमें एक बाघ की तस्वीर भी कैद हो गई थी। जबकि, इससे पहले टिहरी में कभी भी बाघ नहीं देखा गया। खत¨लग ग्लेशियर में बाघ की मौजूदगी के बाद अब यहां पर भी बाघों की गणना की जानी है।
प्रभागीय वनाधिकारी टिहरी गढ़वाल कोको रोसे कहते हैं कि खरसोली में इस ऊंचाई पर बाघ की मौजूदगी के प्रमाण मिलना अपने-आप में हैरतजनक है। क्योंकि, भारत में बाघ ज्यादातर मैदानों में ही पाए जाते हैं और इस ऊंचाई पर तो उनके मिलने की उम्मीद भी नहीं की जाती। इसीलिए इस क्षेत्र में अब बाघों की गणना की जा रही है।
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लंबगांव में भी की जा रही रेकी
जिले के लंबगांव क्षेत्र में भी एक ग्रामीण ने वन विभाग को बाघ होने की जानकारी दी है। इसके बाद वन विभाग लंबगांव क्षेत्र के आसपास के जंगलों में बाघ की मौजूदगी का पता लगाने के लिए रेकी कर रहा है। हालांकि, अभी विभाग को वहां पर बाघ के होने के प्रमाण नहीं मिले है। बावजूद इसके वनकर्मियों को वहां सतर्क रहकर बाघ की मौजूदगी का पता लगाने के निर्देश दिए गए हैं।