महज शोपीस बना पशु सेवा केंद्र
संवाद सहयोगी, चंबा : पशुपालन विभाग ने पशु सेवा केंद्र ऐसी जगह खोला जहा जाना लोगों को रास नहीं आ रहा
संवाद सहयोगी, चंबा : पशुपालन विभाग ने पशु सेवा केंद्र ऐसी जगह खोला जहा जाना लोगों को रास नहीं आ रहा है। दरअसल, विभाग ने पशु सेवा केंद्र को रिहायशी इलाके से दूर जंगलों के बीच खोला है, जिस कारण पशुपालक वहा जाने से कतराते हैं। लिहाजा 14 लाख रुपये से बना यह भवन किसी भी उपयोग में नहीं आ रहा है। आलम यह है कि पशु सेवा केंद्र गाव के मिलन केंद्र के एक कमरे से संचालित किया जा रहा है।
प्रखंड चंबा के नैचोली में पशुपालन विभाग ने पशु सेवा केंद्र गाव से दो किलोमीटर दूर जंगलों में बना रखा है। वर्तमान में जिसका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। स्थिति यह है कि केंद्र गाव के मिलन केंद्र के एक कमरे में चल रहा है। लाखों रुपये के भवन के आसपास झाड़िया उगी हैं।
वर्ष 2001-02 में गांव के लिए पशु सेवा केंद्र स्वीकृत हुआ था और वर्ष 2007-08 में भवन बनकर तैयार हुआ। लेकिन 14 लाख रुपये की लागत से बने भवन का आज तक उपयोग नहीं हो पा रहा है। जंगल में बने होने के कारण यहा कोई जाने को तैयार नहीं है। भवन बनाते समय विभाग के आलाधिकारियों ने यह जानने का प्रयास नहीं किया कि जहा भवन बना रहे हैं वहा इसका संचालन हो पाएगा या नहीं। स्थिति यह है कि पशु सेवा केंद्र में एक महिला स्टाफ में कार्यरत है। आखिर वह चारों ओर से जंगल से गिरे भवन में कैसे रह पाती। ग्रामीणों ने यह देखकर गाव में कुछ समय पूर्व मिलन केंद्र का एक कमरा केंद्र संचालन के लिए दिया। अब वहा से पशु सेवा केंद्र संचालित हो रहा है। खास बात यह है कि जो भवन बनाया गया है वह अब देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है गलत जगह पर गाव से दूर पशु सेवा केंद्र बनाने के कारण उसका उपयोग नहीं हो रहा है। यदि सही जगह पर केंद्र बनाया गया होता तो उसका उपयोग हो पाता, लेकिन उस समय विभाग के अधिकारियों ने बिना सोचे भवन बना दिया और अब उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद आदि का कहना है कि जहां भवन बनाया गया है वहां रात तो क्या दिन में भी रहने में डर लगता है। उनका कहना है कि एक ओर भवन निर्माण के नाम पर धन का दुरुपयोग हुआ, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों को केंद्र की सुविधा भी नहीं मिल पा रही ही है। - पशु सेवा केंद्र गांव से दूर है, लेकिन भवन को उपयोग में लाने के लिए जल्द ही कोई कार्ययोजना बनाई जाएगी।
डॉ. पीएस रावत, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी