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यहां देवता के निशान संग ग्रामीणों ने लगाई खेतों में दौड़, जानिए

बूढ़ाकेदार के ऐतिहासिक गुरु कैलापीर देवता के मेले के पहले दिन खेतों में देवता के निशान के साथ ग्रामीणों की दौड़ आकर्षण का केंद्र रही।

By Edited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 01:53 PM (IST)
यहां देवता के निशान संग ग्रामीणों ने लगाई खेतों में दौड़, जानिए
यहां देवता के निशान संग ग्रामीणों ने लगाई खेतों में दौड़, जानिए

नई टिहरी, जेएनएन। बूढ़ाकेदार के ऐतिहासिक गुरु कैलापीर देवता का तीन दिवसीय मेला शुरू हो गया है। मेले के पहले दिन खेतों में देवता के निशान के साथ ग्रामीणों की दौड़ आकर्षण का केंद्र रही। दूरदराज क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में दौड़ में शामिल होने के लिए लोग यहां पहुंचे। दौड़ को देखने के लिए खेतों के आस-पास की छतों पर बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो गई। दौड़ समाप्त होने के बाद देवता ने सबको आशीर्वाद दिया।

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शुक्रवार सुबह सबसे पहले मंदिर में पुजारी ने देवता को नहलाया। दोपहर करीब एक बजे ग्रामीण ढोल-नगाड़े के साथ मंदिर परिसर में पहुंचे और देवता को बाहर आने का आह्वान किया। दोपहर डेढ़ बजे देवता के निशान को मंदिर से बाहर निकाला गया। इसके बाद सबसे आगे देवता व फिर ग्रामीण देवता के साथ पुंडारा नामे तोक के खेतों में पहुंच। यहां पहले ढोल-नगाड़े से देवता का स्वागत किया गया और फिर खेतों में दौड़ शुरू हुई। ग्रामीणों ने सात चक्कर दौड़ लगाई। 

अंतिम दौड़ में देवता के निशान पर लोगों ने पुआल चढ़ाया। दौड़ समाप्त होने के बाद देवता ने ग्रामीणों को दोबारा आशीर्वाद दिया और इसके बाद करीब चार बजे देवता के निशान ने मंदिर में प्रवेश किया। क्षेत्र की खुशहाली व अच्छी उपज के लिए यह दौड़ लगाई जाती है। इन खेतों को देवता का खेत माना जाता है। इस अवसर पर मेला समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र नेगी, हिम्मत रौतेला, धीरेंद्र नौटियाल, पूरव सिंह नेगी, सुखदेव बहुगुणा, मनमोहन डिमरी, चंद्रेश, गोपेश्वर प्रसाद जोशी आदि मौजूद रहे। मेले के समापन पर पहुंचेंगे सीएम बूढ़ाकेदार मेले के पहले दिन भारी भीड़ उमड़ी।

लोगों ने मेले में खूब खरीददारी भी की। देर शाम तक ग्रामीण मेले में घूमते रहे, वहीं बच्चों ने चरखी का आनंद लिया। मेले में बड़ी संख्या में बाहरी दुकानदार भी पहुंचे हैं, जिसके कारण गांव में काफी रौनक देखने को मिल रही है। यह मेला अभी तीन दिन और चलेगा। वहीं नौ दिसंबर को मेले के समापन पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भी बूढ़ाकेदार पहुंचेंगे। अंतिम दिन आयोजित होने वाली सांस्कृतिक संध्या में प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी व उनकी टीम प्रस्तुति देगी।

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