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जनता के खून पसीने की कमार्इ पानी में, फ्लोटिंग मरीना भी जर्जर

बार्ज बोट के बाद अब टिहरी झील में खड़ी फ्लोटिंग मरीना भी खस्ताहाल में पहुंच चुकी है। लेकिन फिर भी पर्यटन विभाग आंखे मूंदकर बैठा है।

By raksha.panthariEdited By: Published: Fri, 27 Oct 2017 08:57 PM (IST)Updated: Sat, 28 Oct 2017 04:30 AM (IST)
जनता के खून पसीने की कमार्इ पानी में, फ्लोटिंग मरीना भी जर्जर
जनता के खून पसीने की कमार्इ पानी में, फ्लोटिंग मरीना भी जर्जर

नई टिहरी, [अनुराग उनियाल]: जनता के खून-पसीने की कमाई कैसे बर्बाद की जाती है, यह कोई टिहरी के पर्यटन महकमे से सीखे। टिहरी झील में पर्यटन बढ़ाने का जोरशोर से डंका पीटने वाले पर्यटन विभाग की लापरवाही की वजह से यहां टिहरी झील के किनारे खड़ी करोड़ों की बार्ज बोट ही नहीं, बल्कि फ्लोटिंग मरीना (तैरने वाला रेस्तरां) भी जर्जर हो गया है। बीते एक साल साल से यह फ्लोटिंग मरीना खड़े-खड़े झील के थपेड़े सह रहा है। स्थिति यह है कि कुछ दिन और ऐसे ही खड़े रहने पर इसका चलना भी मुश्किल हो जाएगा। 

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टिहरी झील में देश-दुनिया के पर्यटकों को तैरते रेस्तरां पर खाने-ठहरने की सुविधा देने के लिए चार करोड़ की लागत से फ्लोटिंग मरीना का निर्माण किया गया था। अक्टूबर 2015 में इसे झील में उतारा गया, लेकिन संचालन इसका सिर्फ झील में होने वाले कार्यक्रम के दौरान ही हुआ। 

हालांकि, इसके संचालन को पर्यटन विभाग ने चार बार टेंडर भी निकाले, लेकिन किसी भी कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। हैरत देखिए कि स्थानीय युवा पर्यटन विभाग से इसके संचालन की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग किसी बड़ी कंपनी के इंतजार में बैठा मरीना को बदहाल करने पर आमादा है। 

पर्यटन विभाग अगर स्थानीय युवाओं को मरीना के संचालन की अनुमति दे देता तो इसका रखरखाव तो होता ही, पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता। लेकिन, विभाग की लापरवाही के चलते करोड़ों का मरीना अब जर्जरहाल हो गया है। कई बार तो इसकी खिड़कियों के शीशे तक टूट चुके हैं। नौका संचालकों का कहना है कि झील के पानी में उतार-चढ़ाव के कारण फ्लोङ्क्षटग मरीना कई जगह से जर्जर हो गया है। कुछ दिन और यूं ही खड़े रहने पर तो यह तैरने लायक भी नहीं रहेगा। 

जिला पर्यटन अधिकारी सोबत सिंह राणा ने बताया कि फ्लोटिंग मरीना के संचालन के लिए चार बार टेंडर निकाले गए, लेकिन किसी कंपनी ने आवेदन नहीं किया। शासन को इसकी रिपोर्ट भेज दी गई है। उच्चाधिकारियों के निर्देश मिलने पर ही आगे की कार्यवाही संभव हो पाएगी।

वहीं कोटी कॉलोनी के बोट संचालक कुलदीप पंवार ने बताया कि विभाग की लापरवाही से फ्लोटिंग मरीना झील में खड़े-खड़े जर्जर हो गया है। अगर स्थानीय लोगों को मरीना के संचालन का जिम्मा सौंप दिया जाए तो न सिर्फ इसका रखरखाव होगा, बल्कि पर्यटक भी लाभान्वित होंगे।

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