टिहरी झील में मत्स्य उत्पादन ठप
42 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली टिहरी झील में इस वर्ष मत्स्य उत्पादन नहीं हो रहा है।
फोटो 30- एनडब्ल्यूटीपी 1
- टिहरी झील के पानी का तापमान इन दिनों 16 डिग्री सेल्सियस
-हर दिन लगभग 15 किलो मछली का ही हो पा रहा उत्पादन
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अनुराग उनियाल, नई टिहरी
42 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली टिहरी झील में इस वर्ष मत्स्य उत्पादन नहीं हो रहा है। मत्स्य विभाग के मुताबिक इस वर्ष झील में पानी का तापमान कम होने के कारण महाशीर और कॉमन कॉर्प प्रजाति की मछलियां काफी गहराई में चली गई हैं। ऐसे में हर दिन पांच से छह किलो मछलियां ही पकड़ी जा रही हैं। जबकि, बीते वर्ष टिहरी झील से 1648 क्विंटल मछली का उत्पादन हुआ था।
टिहरी झील में व्यापक स्तर पर मछली उत्पादन का सपना इस वर्ष टूटता दिख रहा है। कोरोना संक्रमण के चलते मार्च से जून तक झील में मछली उत्पादन नहीं हो पाया। जबकि, मानसून सीजन के दौरान जुलाई-अगस्त में मछली पकड़ने पर रोक रही। सितंबर में मछली पकड़ने को टेंडर लेने वाली कंपनी ने काम शुरू तो किया, लेकिन उसके हाथ रीते ही रहे। इस पर मत्स्य विभाग ने बीते सप्ताह झील में मछलियों की स्थिति जानने को जीपीएस स्क्रीन से जांच की तो पता चला कि मछलियां लगभग 40 मीटर नीचे चली गई हैं। विभाग का कहना है कि इस वर्ष झील के पानी का तापमान भी 16 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। ऐसे में मछलियां गहराई में उतर गई हैं और पकड़ में नहीं आ रही।
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बीते वर्ष सितंबर में था 20 डिग्री तापमान
वर्ष 2019 में टिहरी झील के जल का तापमान इन दिनों 20 डिग्री सेल्सियस था। ऐस सिर्फ सितंबर में ही 525 क्विंटल मछलियां पकड़ी गई। लेकिन, इस वर्ष तापमान 16 डिग्री पहुंच जाने से अभी तक उत्पादन शून्य रहा है। झील में मछली पकड़ने वाली दिल्ली की एक कंपनी इससे हर साल 75 लाख का राजस्व कमाती थी। लेकिन, इस बार काम पूरी तरह ठप है। ऐसे में कंपनी ने शासन को पत्र लिखकर राजस्व शुल्क माफ करने की मांग की है।
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'इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते मत्स्य उत्पादन नहीं हो पाया। अब झील का पानी काफी ठंडा हो जाने के कारण मछलियां बहते पानी की तरफ बेहद गहराई में चली गई हैं। शासन को भी इससे अवगत करा दिया गया है।'
-आमोद नौटियाल, मत्स्य निरीक्षक टिहरी गढ़वाल