Move to Jagran APP

पूर्व सैनिक ने बंजर खेतों को आबाद कर गढ़ी खुशहाली की नई परिभाषा

टिहरी जिले के चंबा प्रखंड स्थित पलास गांव निवासी पूर्व सैनिक शूरवीर सिंह राणा बंजर खेतों को आबाद कर बागवानी और सब्जी उत्पादन कर खुशहाली की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं।

By Edited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 11:45 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 11:56 AM (IST)
पूर्व सैनिक ने बंजर खेतों को आबाद कर गढ़ी खुशहाली की नई परिभाषा
पूर्व सैनिक ने बंजर खेतों को आबाद कर गढ़ी खुशहाली की नई परिभाषा

चंबा, टिहरी [रघुभाई जड़धारी]: पहाड़ में जो लोग खेती-किसानी से विमुख हो रहे हैं, उन्हें आईना दिखाने का काम कर रहे हैं टिहरी जिले के चंबा प्रखंड स्थित पलास गांव निवासी पूर्व सैनिक शूरवीर सिंह राणा। सेवानिवृत्ति के बाद प्रथम श्रेणी के ठेकेदार रहे राणा आज अपने गांव में बागवानी और सब्जी उत्पादन कर खुशहाली की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, अन्य लोग भी उनसे प्रेरणा लेकर अब खेती-किसानी में हाथ आजमाने लगे हैं। 

loksabha election banner

इस 50-वर्षीय पूर्व सैनिक का नाम आज टिहरी जिले के प्रगतिशील काश्तकारों में लिया जाता है। डेढ़ दशक पूर्व सेना से सेवानिवृत्ति के बाद जब राणा अपने गांव लौटे तो कुछ वर्षो तक ठेकदारी में हाथ आजमाया। इस दौरान वे प्रथम श्रेणी के ठेकेदार रहे, लेकिन धीरे-धीरे इस कार्य से उनका मोहभंग होता चला गया। 

दरअसल, जब भी वे गांव के बंजर पड़े खेतों को देखते थे, मन में एक अजीब-सी टीस उठती थी। इसीलिए ठेकादारी को अलविदा कह वह इन बंजर खेतों को आबाद करने में जुट गए। पांच वर्ष पूर्व उन्होंने सब्जी का उत्पादन शुरू किया और साथ ही बागवानी में भी जुट गए। वर्तमान में गांव की करीब 40 नाली असिंचित भूमि पर वह सब्जी उत्पादन और बागवानी का कार्य कर रहे हैं। 

सीजन में कर लेते हैं डेढ़ लाख की कमाई 

राणा सिंचाई के लिए बरसात के पानी का संग्रह करते हैं। सीजन में वे 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक कि सब्जी बेच देते हैं। इसी प्रकार फलों की बिक्री से भी उन्हें 40 हजार से लेकर 60 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है। 

पत्नी भी करती है सहयोग 

पूर्व सैनिक शूरवीर सिंह राणा का एक पुत्र देहरादून में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहा है। खेती-बागवानी में पत्नी उनका सहयोग करती है। पति-पत्नी का अधिकांश समय खेतों में ही गुजरता है। यही वजह है कि जो खेत कुछ वर्ष पूर्व बंजर पड़े थे, उनमें उम्मीदें लहलहा रही हैं। खेती-किसानी जैसी संतुष्टि कहीं नहीं 

राणा बताते हैं कि इससे पहले उन्होंने बहुत-से कार्य किए, लेकिन खेती-किसानी में अलग ही तरह की संतुष्टि मिल रही है। कहते हैं वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाए तो तो इसमें लाभ ही लाभ है। इसलिए बेरोजगारों को खेती-किसानी के लिए आगे आना चाहिए। इससे क्षेत्र की आर्थिकी भी मजबूत होगी। 

इन फल व सब्जियों का कर रहे उत्पादन 

फलों में पुलम, खुबानी, चुलू, संतरा, आम, बादाम, अखरोट, पपीता, लीची, कीनू, आडू़, केला, अमरूद व अनार के साथ ही राणा आलू, बीन, शिमला मिर्च, पत्तागोभी, प्याज, भिंडी, मूली, अरबी, अदरक, हल्दी, मिर्च आदि का उत्पादन कर रहे हैं। 

किसानों को राणा से लेनी चाहिए सीख 

वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक डीएस नेगी के मुताबिक शूरवीर सिंह राणा प्रगतिशील काश्तकार हैं। समय-समय पर उद्यान विभाग भी उन्हें तकनीकी जानकारी देता रहता है। उनसे अन्य लोगों को भी सीखना चाहिए कि किस प्रकार खेती को आर्थिकी का मजबूत जरिया बनाया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: अब यहां महकेगा डोमेस्क गुलाब, छह लाख रुपये तक बिकता है तेल

यह भी पढ़ें: यहां बंजर खेतों में महक रहा उम्मीदों का गुलाब, ऑस्ट्रेलिया तक जा रहा गुलाब जल

यह भी पढ़ें: इस जन्नत में भी बिखरी है फूलों की रंगत, खिलते हैं इतनी प्रजाति के फूल 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.