आभा ने रूढ़ियां तोड़ पेश की मिसाल, मां की चिता को दी मुखाग्नि
नरेंद्रनगर में आभा ने रूढ़ियों को तोड़ते हुए अपनी मां की चिता को मुखाग्नि दी। आभा के इस फैसले की चारों ओर प्रशंसा हुर्इ।
नरेंद्रनगर, जेएनएन। नरेंद्रनगर की बेटी आभा ने रूढ़ियों को तोड़कर अपनी दिवंगत मां को मुखाग्नि देकर मिसाल कायम की है। सोमवार रात नरेंद्रनगर निवासी कला देवी (78 वर्ष) का निधन हो गया था। उनकी तीन बेटियों में सबसे छोटी बेटी आभा ने मंगलवार को ऋषिकेश पूर्णानंद घाट पर अपनी मां की चिता को मुखाग्नि दी।
नरेंद्रनगर की रहने वाली 34 वर्षीय आभा पंवार की मां कला देवी का सोमवार को आकस्मिक निधन हो गया था। परिवार में तीन लड़कियों में से सबसे छोटी आभा पंवार ने अपनी माता को मुखाग्नि देकर बेटी होने के बावजूद बेटे का फर्ज निभाया। कई लोगों ने आभा के इस निर्णय की प्रशंसा की।
आभा पंवार के पिता रघुवीर सिंह का 22 साल पूर्व निधन हो गया था। आभा का एक भाई था, जिसकी काफी पहले सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसके बाद परिवार के सामने भरण-पोषण की समस्या पैदा हो गई थी। तीन बहनों में सबसे छोटी आभा ने परिवार की जिम्मेदारी को समझा और नरेंद्रनगर में दुकान खोलकर परिवार के लिए दो जून की रोटी की व्यवस्था की। वह दिनभर दुकान में बैठी रहती और शाम को घर का कार्य भी करती। आभा ने जब पूर्णानंद घाट पर मां कला देवी को मुखाग्नि दी तो माहौल गमगीन हो गया। सभी ने आभा के हौसले की दाद दी।
बेटा न हो तो बेटी कर सकती है अंतिम संस्कार
ज्योतिषाचार्य हेतराम थपलियाल ने कहा कि गरुड़ पुराण में स्पष्ट उल्लेख है कि बेटा न होने की दशा में बेटी भी अपने माता-पिता का अंतिम संस्कार कर सकती है। माता-पिता से संबंधित अन्य कर्मकांड भी बेटी कर सकती है।
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