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रक्षाबंधन पर मां हरियाली को लगाया खीर का भोग

रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर हरियाली मां के कांठा मंदिर में दूध के खीर का भोग लगाने की परम्परा है। सोमवार को भी जसोली कोदिमा पावौ व ग्वेफड के ग्रामीणों ने तडके सुबह मां के कांठा मंदिर के लिए प्रस्थान किया। जिसके बाद लगभग 11 बजे ग्रामीण जसोली से सात किमी की पैदल दूरी तय कर मां के कांठा मंदिर पहुंचे जहां पर पुजारी ने मां हरियाली की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विशेष रूप से पूजा अर्चना कर हवन किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 06:11 AM (IST)
रक्षाबंधन पर मां हरियाली को लगाया खीर का भोग
रक्षाबंधन पर मां हरियाली को लगाया खीर का भोग

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां हरियाली देवी के कांठा स्थित मंदिर में रक्षाबंधन के अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विशेष पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान विभिन्न गांव से एकत्रित दूध की खीर का भोग मां हरियाली देवी को लगाया गया। कोरोना वायरस के चलते इस बार सीमित संख्या में लोग मां के दरबार में पहुंचे।

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रक्षाबंधन पर्व के मौके पर हरियाली मां के कांठा मंदिर में दूध के खीर का भोग लगाने की परंपरा है। सोमवार को भी जसोली, कोदिमा, पावौ व ग्वेफड़ के ग्रामीणों ने सुबह मां के कांठा मंदिर के लिए प्रस्थान किया। इसके बाद करीब 11 बजे ग्रामीण जसोली से सात किमी की पैदल दूरी तय कर मां के मंदिर पहुंचे, जहां विशेष पूजा अर्चना की गई। इसके बाद वहां उपस्थित भक्तों को खीर बांटी गई। यह प्रक्रिया मां के मूल मंदिर जसोली में भी हुआ। मंदिर के पुजारी विजय जसोला ने बताया कि मां हरियाली के कांठा मंदिर में मां को खीर का भोग लगाया। जसोली में है मां हरियाली देवी का ससुराल

रानीगढ़ क्षेत्र के अंतर्गत जसोली में सिद्धपीठ मां हरियाली देवी का भव्य मंदिर स्थित है। जसोली में मां हरियाली का ससुराल एवं कांठा मंदिर में मां का मायका माना जाता है। मां हरियाली की सात किमी लंबी इस पैदल यात्रा के बाद कांठा मंदिर पहुंचा जाता है। यात्रा में शामिल होने के लिए भक्तों को एक सप्ताह पूर्व से ही तामसिक भोजन का त्याग करना पड़ता है। एक सप्ताह पूर्व से भोजन में प्याज, लहसुन, मीट, अंडा समेत कई तामसिक खाद्य पदार्थो को त्याग करने वाला व्यक्ति ही इस यात्रा में शामिल होता है। इस यात्रा में महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध है।


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