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आपदा के छह साल बाद भी बिना कुंड के गौरीकुंड

संवाद सहयोगी रुद्रप्रयाग जून 2013 की आपदा में तबाह हुए केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव स्थल गौर

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 06:35 AM (IST)
आपदा के छह साल बाद भी बिना कुंड के गौरीकुंड
आपदा के छह साल बाद भी बिना कुंड के गौरीकुंड

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: जून 2013 की आपदा में तबाह हुए केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव स्थल गौरीकुंड के प्रति तंत्र की बेरुखी आपदा के छह वर्ष बाद भी साफ झलकती है। सरकार ने केदारनाथ व सोनप्रयाग के लिए पुर्ननिर्माण कार्य की योजना तो बनाई, लेकिन गौरीकुंड में नाममात्र के निर्माण कार्य किए गए। यहां तक कि अभी तक जिस कुंड के नाम से गौरीकुंड की पहचान है वह भी नहीं बन सका है।

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गौरीकुंड कस्बा केदारनाथ यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव स्थल रहा है। केदार क्षेत्र में जून 2013 से पहले गौरीकुंड में यात्रियों का हुजूम रहता था, जो केदारनाथ आपदा के बाद लगभग ठप पड़ गया। आपदा के बाद गौरीकुंड की अनदेखी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आपदा के दो वर्ष बाद इसे दोबारा सड़क मार्ग से जोड़ा जा सका, लेकिन वर्तमान में यात्रा सीजन में इस मार्ग पर बड़े वाहनों के प्रवेश पर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है, जबकि आपदा में तबाह हुआ बस अड्डा आज तक नहीं बन सका। आपदा के बाद केदारनाथ में मास्टर प्लान से पुर्ननिर्माण कार्य हो रहे हैं। पांच सौ करोड़ से अधिक के निर्माण कार्य हो चुके हैं, जबकि गौरीकुंड से पांच किमी पहले सोनप्रयाग में भी तीन सौ करोड़ से अधिक के निर्माण कार्य हुए, सोनप्रयाग में 36 करोड़ का विदेशी तकनीकी से एक्को ब्रिज, बहुमंजिला पाíकंग का निर्माण, स्थानीय युवाओं के लिए शापिग कॉम्पलैक्स समेत कई महत्वपूर्ण कार्य हुए। जिससे सोनप्रयाग यात्रा का मुख्य पड़ाव स्थल बन गया।

इसके विपरीत गौरीकुंड में निर्माण की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। आपदा से पूर्व जहां गौरीकुंड में एक हजार से अधिक वाहनों की पार्किंग होती थी, वहीं अब पर्किंग की व्यवस्था नहीं है। छोटे वाहन ही सोनप्रयाग से जाते हैं, जो यात्रियों को उताकर वापस लौट आते हैं। जबकि बाढ़ सुरक्षा कार्य भी सीमित मात्रा में हुए हैं। गौरीकुंड की पहचान प्राकृतिक रूप से बने गर्म पानी के कुंड से थी, इसी कुंड में स्नान के बाद यात्री केदारनाथ यात्रा पर जाते थे, लेकिन आपदा के छह वर्ष बाद भी अभी तक कुंड का निर्माण नहीं हो पाया है। गर्म कुंड का पानी अस्थाई व्यवस्था में पाइप से आ रहा है, इसी से यहां आने वाले यात्री स्नान करते हैं।

गौरीकुंड के पूर्व प्रधान मायाराम गोस्वामी कहते हैं कि गौरीकुंड के प्रति सरकारी उपेक्षा के कारण आज तक आपदा में अपना कारोबार खोकर बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार नहीं मिल पाया है। सरकार को गौरीकुंड के विकास के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए। व्यापार संघ के पूर्व अध्यक्ष महेश बगवाड़ी सरकार की गौरीकुंड के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैये से नाराजगी जताते हुए कहते हैं कि गौरीकुंड में बाढ़ सुरक्षा कार्य के साथ ही कुंड का निर्माण तत्काल करना चाहिए।

--------वर्जन---

गौरीकुंड में भी पुर्ननिर्माण कार्य योजनाबद्ध तरीके से किए जा रहे हैं। कुंड के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही यात्रा सीजन में गौरीकुंड में फिर से पहले वाली चहल पहल नजर आएगी।

हरीश चंद्र, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी, रुद्रप्रयाग


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