आपदा के बाद से नहीं ली रुद्र महादेव मंदिर की सुध
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: केदारनाथ आपदा को साढे़ सात साल का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक कालीमठ घा
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: केदारनाथ आपदा को साढे़ सात साल का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक कालीमठ घाटी में प्रसिद्ध रुद्र महादेव मंदिर की सुध नहीं ली गई है। हाल यह है कि मंदिर को जोड़ने वाले झूला पुल के ध्वस्त होने के बाद से उसका पुनर्निर्माण नहीं हो पाया है। इससे भक्तों को ट्राली के सहारे काली नदी पार कर मंदिर तक पहुंचना पड़ता है। वहीं स्थानीय लोगों ने भी शासन-प्रशासन के खिलाफ कड़ा रोष जताया है।
केदारनाथ आपदा में काली गंगा पर रुद्र महादेव को जोड़ने वाला झूला पुल बहने के बाद लोनिवि ऊखीमठ ने नदी पर ट्राली लगाई थी, जो वर्तमान में जर्जर हो चुकी है। सर्दियों में नदी का पानी कम होने पर ग्रामीण वैकल्पिक पुलिया बनाकर मंदिर तक पहुंच रहे हैं। जबकि बरसात में नदी का जलस्तर बढ़ने पर जान हथेली पर रखकर ट्राली से मंदिर पहुंचा जाता है। त्योहारों के अवसर पर क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों के साथ ही जिले के अन्य क्षेत्रों से भी श्रद्धालु रुद्र महादेव के दर्शनों को पहुंचते हैं, लेकिन काली नदी पर पुल के अभाव में उन्हें मंदिर तक पहुंचने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिला पंचायत सदस्य विनोद राणा, संदीप भट्ट, मुलायम सतकारी व मंदिर के पुजारी सत्यानंद भट्ट का कहना है कि आपदा के साढे़ सात वर्ष बाद भी शासन-प्रशासन की ओर से रुद्र महादेव की सुध नहीं ली गई है। तहसील दिवस, बीडीसी बैठक के साथ जनप्रतिनिधियों के सामने मुद्दा उठाया गया, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। बताया कि नदी पर लगाई गई ट्राली भी जर्जर होने से हादसों को न्यौता दे रही है। उन्होंने बरसात से पहले मंदिर को जोड़ने के लिए काली नदी पर वैली ब्रिज निर्माण की मांग की है, ताकि भक्तों को मंदिर पहुंचने में दिक्कतें न उठानी पड़े।
लोनिवि के ईई मनोज भट्ट ने बताया कि रुद्र महादेव तक पहुंच के लिए काली नदी पर 60 मीटर स्पान के पुल की जरूरत है, लेकिन भूस्खलन जोन होने के कारण पुल के एबेडमेंट के लिए मजबूत भूमि नहीं मिल पा रही है, जिससे अभी तक पुल से जुड़ी कोई स्वीकृति हमारे पास नहीं है। मंदिर तक पहुंच के लिए ट्राली का संचालन किया जा रहा है।