छह वर्ष बाद भी पुनर्निर्माण की राह ताक रहा गौरीकुंड
संवाद सहयोगी रुद्रप्रयाग केदारनाथ यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड आपदा के करीब छ
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड आपदा के करीब छह साल बीत जाने के बाद भी पुनर्निर्माण की राह ताक रहा है। आपदा के बाद केदारनाथ व सोनप्रयाग में तो बड़े पैमाने पर पुननिर्माण कार्य हुए, लेकिन गौरीकुंड में अभी तक ध्वस्त हुए तप्तकुंड का पुनर्निर्माण भी नहीं हो सका। जो कि गौरीकुंड का पहचान हुआ करता था।
गौरीकुंड की जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से दूरी 76 किमी है। जून 2013 में आई भीषण आपदा में गौरीकुंड कस्बा पूरी तरह तबाह हो गया था। तब कस्बे के नीचे का पूरा हिस्सा ही नहीं, राष्ट्रीय राजमार्ग भी मंदाकिनी की बाढ़ में समा गया था। आपदा के दो वर्ष बाद कस्बा सड़क मार्ग से जुड़ पाया। हालांकि, सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक सड़क, कस्बे के बीचोंबीच पैदल मार्ग व गौरी माई मंदिर के किनारे से तप्त कुंड क्षेत्र और बाजार के नीचे सुरक्षा दीवार भी बनाई गई है। लेकिन, जिससे इस कस्बे की पहचान है, वह तप्त कुंड अभी भी जमींदोज है। जबकि, पुराणों में केदारनाथ की पैदल यात्रा शुरू करने से पूर्व इस तप्तकुंड में स्नान की महत्ता बताई गई है।
वर्तमान में स्थिति यह है कि तप्त कुंड का पानी प्लास्टिक पाइपों के सहारे संरक्षित किया जा रहा है। ग्राम पंचायत गौरीकुंड के पूर्व प्रधान मायाराम गोस्वामी बताते हैं कि बाढ़ सुरक्षा दीवार के अलावा गौरीकुंड में पुनर्निर्माण के नाम पर कोई भी कार्य नहीं हुआ। बाढ़ सुरक्षा कार्यों के लिए स्वीकृत धनराशि को कार्यदायी संस्था सिचाई विभाग खर्च कर रहा है। उधर, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि गौरीकुंड में पुनर्निर्माण के कुछ कार्य प्रस्तावित हैं। साथ ही पूर्व में स्वीकृत कार्यो की कार्यदायी संस्थाओं से जानकारी मांगी गई है।