इस भवन में है भूतों का बसेरा, जिम्मेदार कर रहे दावे; जानिए
रुद्रप्रयाग जिले स्थित विकास भवन में भूतों का बसेरा है। ऐसा हम नहीं बल्कि वहां के जिम्मेदार अधिकारी कह रहे हैं। इसके लिए भवन में हवन तक करा दिया गया है।
रुद्रप्रयाग, जेएनएन। एक तरफ समाज में वैज्ञानिक चेतना के प्रसार के दावे हो रहे हैं, अंधविश्वासों के खिलाफ जागरुकता लाने के लिए व्यापक स्तर पर मुहिम चलाई जा रही है। वहीं, ऐसे भी 'जिम्मेदार' अफसर हैं, जो समाज में स्वयं भय का वातावरण बना रहे हैं। यह मामला रुद्रप्रयाग जिले के विकास भवन का है। जहां पिछले तीन सालों से भूतों का बसेरा बताकर उन्हें भगाने के लिए रविवार से यज्ञ-अनुष्ठान और अखंड रामायण पाठ शुरू करवा दिया गया है। समापन पर सोमवार को विशाल भंडारे का आयोजन भी हुआ। हैरत देखिए कि यह सब-कुछ मुख्य विकास अधिकारी की देखरेख में हुआ।
रुद्रप्रयाग जिला गठन के 18 वर्ष बाद 26 जनवरी 2016 को जिला मुख्यालय में विकास भवन बनकर तैयार हुआ। यहां वर्तमान में 16 विभाग संचालित हो रहे हैं। भवन में रात्रिकाल के लिए दो चौकीदार तैनात किए गए हैं। बताया जा रहा है कि दिन के वक्त तो यहां सब-कुछ व्यवस्थित रहता है, लेकिन रात के वक्त डरावनी आवाजें आने लगती हैं। कई बार तो लगता है जैसे घंटियां बज रही हैं। इससे चौकीदार दहशत में रहते हैं। यह बात जब उच्चाधिकारियों कान में पड़ी तो मुख्य विकास अधिकारी एनएस रावत की अध्यक्षता में बैठक बुलाकर बाकायदा इस समस्या पर मंथन किया गया। साथ ही निर्णय लिया गया इसके लिए दो दिन का अखंड रामायण पाठ और यज्ञ का आयोजन कराया जाए।
तय कार्यक्रम के अनुसार रविवार को अखंड रामायण का पाठ हुआ और सोमवार को यज्ञ में आहुतियां डाली गई। यज्ञ विशेष रूप से पांच ब्राह्मणों ने संपन्न कराया और इसमें परियोजना अर्थशास्त्री एमएस नेगी ने भी आहुतियां डालीं। इस मौके पर नेगी ने दावा किया कि रात के वक्त विकास भवन में रोने-चिल्लाने की अजीब-अजीब आवाजें आती हैं, इसलिए यज्ञ कराना पड़ा। बताया कि सीडीओ की अध्यक्षता में इस तरह के अनुष्ठान का निर्णय लिया गया था, ताकि भूतों को विकास भवन से भगाया जा सके।
मामले पर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना कि मेरे संज्ञान में विकास भवन का ऐसा कोई मामला नहीं आया है। उड़ी-उड़ाई बातों पर ऐसा कोई उपक्रम नहीं होना चाहिए। इस मामले को दिखवाने के बाद आगे कुछ कहना संभव होगा।
यह भी पढ़ें: ग्रामीणों के हौसले को सलाम, मिलकर बदल दी जर्जर स्कूल की सूरत
यह भी पढ़ें: अफसरी छोड़ बंजर खेतों को किया हरा-भरा, 82 साल की उम्र में खुद को बताया नौजवान