पहले जंगली जानवरों की मार, अब सिस्टम की बेरूखी
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: जिले में ग्रामीणों पर वन विभाग की दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: जिले में ग्रामीणों पर वन विभाग की दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर जहां गुलदार व भालू के हमले में अभी तक नौ लोग घायल हुए हैं, वहीं चार वर्षों में गुलदार साढ़े तीन सौ से अधिक जानवरों को अपना निवाला बना चुका है। इसका अभी तक पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान तक नहीं हो सका है। पीड़ित वन विभाग के चक्कर काटकर थक चुके हैं। खास बात यह है कि अभी तक पीड़ितों को दिसंबर 2015 तक का ही मुआवजा मिल सका है। भले वन विभाग ने शासन को 57.35 लाख रुपये का प्रस्ताव को भेजा है, लेकिन अभी स्वीकृति नहीं मिल सकी है।
प्रतिवर्ष जिले में गुलदार, भालू, सुअर समेत कई जंगली जानवरों के हमले होते हैं, लेकिन इन घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इससे लगातार यह घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। गुलदार के साथ ही अन्य जंगली जानवरों के हमले में मानव जाति के साथ ही पशुओं को बड़ी संख्या में नुकसान पहुंचता है। वित्तीय वर्ष 2015-16 से अभी तक मानव क्षति के नौ घटनाएं घटित हुई हैं। इसमें नौ व्यक्ति घायल हुए हैं, जबकि 351 पशुओं की मौत हुई है। सभी घटनाओं का वन विभाग के पास पूरा रिकार्ड दर्ज है। जनवरी 2016 के बाद से अभी तक उक्त घटनाओं का पीड़ित परिवारों को मुआवजा नहीं मिल सका है। पूरे जिले में गुलदार ने तीन वर्षों में 351 पालतू पशुओं को अपना निवाला बनाया है। पिछले चार वर्षों से लगातार पीड़ित परिवार मुआवजे को लेकर वन विभाग कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिल रहा है। इससे पीड़ित परिवारों को आर्थिकी के साथ ही समय की बर्बादी भी झेलनी पड़ रही है। वन विभाग ने शासन को 9 घायल व्यक्तियों के साथ ही 351 पशुओं के सापेक्ष 57.35 लाख का प्रस्ताव तो भेजा है, लेकिन अभी तक विभाग को बजट की कोई स्वीकृति नहीं मिली है। इससे पीड़ित परिवारों में विभाग के खिलाफ खासा रोष व्याप्त है। जिले में घायल, पशुओं एवं मिलने वाले मुआवजे स्थिति-
वर्ष घायल व्यक्ति कुल पशु क्षति मिलने वाला मुआवजा
2015-16 - 59 11.29 लाख
2016-17 - 163 24.54 लाख
2075-18 02 68 10.40 लाख
2016-19 07 61 10.81 लाख वन विभाग की ओर से पंजीकृत मामलों के सापेक्ष मुआवजे के लिए 57.35 लाख का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है। इस संबंध में समय-समय पर शासन से पत्राचार भी होता है। शासन से बजट की धनराशि अवमुक्त होते ही शीघ्र पीडितों को मुआवजे का भुगतान किया जाएगा।
महिपाल सिरोही
उप प्रभागीय वनाधिकारी, वन प्रभाग रुद्रप्रयाग