Move to Jagran APP

निम को एकबार फिर मिल सकती है पुनर्निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) को एक बार फिर पुनर्निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी मिल सकती है। इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र को इस आशय का प्रस्ताव भेजा है।

By raksha.panthariEdited By: Published: Sun, 29 Oct 2017 07:44 PM (IST)Updated: Mon, 30 Oct 2017 05:00 AM (IST)
निम को एकबार फिर मिल सकती है पुनर्निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी
निम को एकबार फिर मिल सकती है पुनर्निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी

बृजेश भट्ट, [रुद्रप्रयाग]: वर्ष 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ को नया रूप देने वाले नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) को एक बार फिर पुनर्निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी मिल सकती है। राज्य सरकार की ओर से केंद्र को इस आशय का प्रस्ताव भेजा गया है। हालांकि अभी इसे मंजूरी नहीं मिली है। वर्तमान में निम का कार्यकाल अप्रैल 2018 तक है। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि फिलहाल निम को सरस्वती नदी के तट पर सुरक्षा दीवार बनाने का कार्य दिया गया है। कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया है। प्रस्ताव की मंजूरी के बाद ही आगे की रूपरेखा तय की जाएगी।

loksabha election banner

दरअसल, निम के पास उच्च हिमालय में कार्य करने खासा अनुभव है। सर्दियों में केदारनाथ में न्यूनतम तापमान माइनस 20 डिग्री के आसपास रहता है। इन हालात में पुनर्निर्माण कार्यों को अंजाम देना किसी चुनौती है कम नहीं है। लेकिन आपदा के बाद बीते चार साल में निम की टीम केदारनाथ वर्षभर कार्य कर रही है। 

बीती 20 अक्टूबर को केदारनाथ पहुंचे प्रधानमंत्री ने केदारनाथ को नया स्वरूप देने के लिए पांच योजनाओं का शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजक्ट को पूरा करने के लिए राज्य सरकार भी कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती और अनुभव को देखते हुए सरकार निम का कार्यकाल आगे बढ़ाना चाह रही है। दूसरी ओर निम के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल कहते हैं कि नए कार्यो को लेकर अभी उनके प्रास प्रस्ताव नहीं आया है, यदि आएगा तो इस पर विचार किया जाएगा। 

यात्रा शुरू होने से पूर्व तैयार होगा नया पैदल मार्ग

वर्ष 2013 में आई आपदा से गौरीकुंड से केदारनाथ तक जाने वाला मार्ग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। सैलाब ने 14 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर पड़ने वाले प्रमुख पड़ाव रामबाड़ा का अस्तित्व ही मिटा डाला। ऐसे में निम ने एक अलग मार्ग तैयार किया, जो 16 किलोमीटर लंबा है। लेकिन अब पुराने मार्ग को तैयार करने की भी कवायद शुरू कर दी गई है। इससे पैदल यात्रा दो किलोमीटर कम हो जाएगी। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि जल्द ही इसका सर्वे कराया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले सीजन से पहले ही मार्ग अस्तित्व में आ जाएगा। 

यह भी पढ़ें: अगले वर्ष अप्रैल में केदारपुरी से विदा ले लेगा नेहरू पर्वतारोहण संस्थान

यह भी पढ़ें: मानसून में पहली बार जारी है केदारनाथ के लिए हवाई सेवा

यह भी पढ़ें: अब केदारनाथ धाम को मोटर मार्ग से जोड़ने की तैयारी शुरू


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.