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कहीं फल-फूल तो कहीं उगाई जाएगी सब्जी

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: जिले में कृषि, फल व सब्जी समेत फूल उत्पादन को जनपद में मॉडल के रूप म

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 10:16 PM (IST)Updated: Thu, 23 Aug 2018 10:16 PM (IST)
कहीं फल-फूल तो कहीं उगाई जाएगी सब्जी
कहीं फल-फूल तो कहीं उगाई जाएगी सब्जी

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: जिले में कृषि, फल व सब्जी समेत फूल उत्पादन को जनपद में मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इससे अन्य किसानों को प्रेरित किया जाएगा। हर रविवार को चयनित किसानों को जनपद के विभिन्न कृषि के लिए चयनित मॉडलों का भ्रमण कराया जा रहा है। वहीं इस बार प्रशासन ने निर्णय लिया है कि कपाट बंद होने के समय केदारनाथ मंदिर को स्थानीय क्षेत्र में उत्पादित फूलों से सजाया जाएगा। लगभग दस कुंतल फूल मंदिर को सजाने में लगते हैं।

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जनपद को वर्ष 2022 तक कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है। अलग-अलग स्थान चयनित किए गए हैं, जहां सब्जी, फूल और फल का उत्पादन किया जा रहा है। मशरूम पालन के लिए भी प्रशासन उन सभी प्रशिक्षण लेने वाले किसानों व महिलाओं को मशरूम उत्पादन के लिए प्रेरित करेगा। जनपद के जखोली में त्यूंखर क्षेत्र के 10 गांव में सब्जी उत्पादन के लिए चयनित किया गया है। इस पूरे क्षेत्र में किसानों को सब्जी उत्पादन के लिए जरूरी सामग्री, बीज आदि दिए जा रहे हैं। यहां सौ से अधिक किसान जुडे़ हुए हैं, जबकि ऊखीमठ क्षेत्र में फल उत्पादन के रूप में मॉडल तैयार किया जा रहा है। यहां सेब उत्पादन के साथ ही आम का उत्पादन किया जा रहा है। अगस्त्यमुनि विकास खंड के बच्छणस्यूं में फूल उत्पादन के लिए किसानों को प्रशासन द्वारा प्रोत्साहित कर मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है।

रविवार को हर दिन 12 किसानों को भ्रमण कर सब्जी, फूल व फल उत्पादन के तरीके सिखाने के लिए भ्रमण कराया जा रहा है। इन तीनों उत्पाद की मांग के साथ ही खपत पर्याप्त मात्रा हैं, वर्तमान में फल, फूल व सब्जी बाहरी राज्य से जनपद में सप्लाई हो रही है, जिसका कोई फायदा स्थानीय लोगों को नहीं हो रहा है। प्रत्येक दिन जनपद में दस ट्रक सब्जी बाहरी जनपदों से आती है, जबकि बाजार में पहाड़ी सब्जी, फल की मांग है, लेकिन ग्राहकों को नहीं मिल पाती है। स्थानीय फूलों से सजेगा केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर के कपाट आगामी नवंबर माह में दीपावली के दूसरे दिन भैया दूज को शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। इस मौके पर मंदिर को फूलों से सजाए जाने की परंपरा है। तय किया गया है कि मंदिर को स्थानीय फूलों से ही सजाया जाएगा। मंदिर की सजावट में लगभग दस कुंतल फूल लगते हैं। स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए जनपद में चयनित स्थानों पर किसानों से मॉडल के रूप में फल-सब्जी का उत्पादन कराया जाएगा। इससे जनपद के किसानों की आय भी बढ़ेगी। केदारनाथ मंदिर को भी स्थानीय फूलों से सजाने का फैसला किया गया है।

-मंगेश घिल्डियाल

जिलाधिकारी, रुद्रप्रयाग।


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