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यहां बंद कमरे से मिली हैं कर्इ दुर्लभ पांडुलिपिया, जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में कर्इ दुर्लभ पांडुलिपियां मिली हैं। इन पांडुलिपियों की भाषा साफ नहीं है। इन्हें पढ़ा नहीं जा पा रहा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 02 Oct 2018 07:03 PM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 08:38 AM (IST)
यहां बंद कमरे से मिली हैं कर्इ दुर्लभ पांडुलिपिया, जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर
यहां बंद कमरे से मिली हैं कर्इ दुर्लभ पांडुलिपिया, जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर

रुद्रप्रयाग, [जेएनएन]: अगस्त्यमुनि ब्लॉक के स्यूंपुरी गांव में दुलर्भ पौराणिक पांडुलिपियों का खजाना मिला है। बताया जा रहा है कि यह पांडुलिपियां 1785 से 1832 के बीच की बतार्इ जा रही हैं। इन पांडुलिपियों में गढ़वाल के इतिहास के बारे में कर्इ जानकारियां मिल सकती हैं। 

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दरअसल, स्यूंपुरी गांव निवासी सत्येंद्र पाल बर्त्वाल और धीरेंद्र बर्त्वाल एक भवन की साफ-सफार्इ कर रहे थे। जब वे एक कमरे की सफार्इ करने लगे तो उन्हें वहां से तीन रिंगाल की टोकरियां मिलीं। इनमें काफी संख्या में दुर्लभ पांडुलिपियां मिली। हालांकि इन पांडुलिपियों की लिखाई साफ नहीं है। ये सभी पांडुलिपियां पूरी तरह से सुरक्षित हैं। यह जिस भाषा में लिखी गई हैं, वह पढ़ने में नहीं आ रही हैं। हालांकि कुछ एक शब्द पढ़े जा रहे हैं। 

उन्होंने बताया कि उनके पुर्वज स्व. ठाकुर हीरा सिंह बर्त्वाल पुत्र स्व. ठाकुर अवतार सिंह बर्त्वाल नौजुला के थोकदार और मालगुजार थे। ये सभी पांडुलिपियां उन्हीं के समय की हैं। उनका ये भी कहना है कि इनमें गढ़वाल के इतिहास के बारे में कुछ नई जानकारियां मिल सकती हैं। इसलिए इनका संरक्षण बेहद जरूरी है। गौरतलब है कि कुछ साल पहले स्यूंपुरी गांव में मानवेंद्र सिंह बर्त्वाल के घर से बदरीनाथ धाम की आरती से संबंधित पांडुलिपि मिली थी। बीते अगस्त बीकेटीसी ने इन पांडुलिपियों को अधिगृहित किया था। 

वहीं, डीएम मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि दुर्लभ पांडुलिपियों का मिलना गौरव की बात है। इनके शोध और संरक्षण के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा।

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