कार्तिक स्वामी पर्यटक सर्किट 11 करोड़ से तैयार
प्रदेश सरकार व पर्यटन विभाग के प्रयासों से लगभग 11 करोड़ रुपये की लागत से कार्तिक स्वामी पर्यटन सर्किट शुरू हो गया है।
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: प्रदेश सरकार व पर्यटन विभाग के प्रयासों से लगभग 11 करोड़ रुपये की लागत से कार्तिक स्वामी मंदिर पर्यटन सर्किट तैयार हो गया है। सर्किट में अभी तीन मंदिरों को विकसित किया गया है। कार्तिक स्वामी पर्यटन सर्किट को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य स्थानीय तीर्थाटन व पर्यटन को बढ़ावा देना है।
कार्तिक स्वामी पर्यटन सर्किट के अंतर्गत पर्यटन विभाग ने क्रोंच पर्वत के शीर्ष पर स्थित कार्तिक स्वामी, तुंगेश्वर मंदिर फलासी व दुर्गा देवी मंदिर दुर्गाधार को विकसित किया गया है। इसके तहत सभी मंदिरों को नए मॉडल से विकसित करने के साथ ही पर्यटन विश्राम गृह का निर्माण तथा पैदल संपर्क मार्गों का निर्माण भी बेहतर तरीके से किया गया है। तीर्थों में लगभग 30 से 40 तीर्थयात्रियों के एक साथ रात्रि प्रवास की व्यवस्था हो चुकी है। आने वाले समय में यदि नैणी देवी घिमतोली, तुंगेश्वर मंदिर क्यूड़ी, हरियाली देवी मयकोटी व चंडिका मंदिर नारी सतेराखाल के अलावा क्यूंजा घाटी के तीर्थस्थलों को भी कार्तिक स्वामी पर्यटन सर्किट से जोड़ कर विकसित करने की कवायद की जाती है तो दोनों क्षेत्रों का चहुंमुखी विकास हो सकता है। जिला पंचायत सदस्य चोपता सुनीता बत्र्वाल का कहना है कि प्रदेश सरकार व पर्यटन विभाग की पहल पर कार्तिक स्वामी पर्यटन सर्किट विकसित हुआ है। कार्तिक स्वामी पर्यटन सर्किट के विकसित होने से तल्लानागपुर क्षेत्र में तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिल रहा है। जिला पंचायत सदस्य कण्डारा सुमन नेगी का कहना है कि प्रदेश सरकार व पर्यटन विभाग को क्यूंजा घाटी के तीर्थों को भी कार्तिक स्वामी पर्यटन सर्किट से जोड़कर विकसित करना चाहिए। प्रधान घिमतोली बसंती नेगी, क्षेत्र पंचायत सदस्य घिमतोली अर्जुन सिंह नेगी ने कहा कि कार्तिक स्वामी पर्यटन सर्किट विकसित होने से कार्तिक स्वामी तीर्थ में तीर्थयात्रियों की आवाजाही में इजाफा हुआ है।
भाजपा मंडल अध्यक्ष सतेरा गंभीर बिष्ट, पंचम सिंह नेगी, दीप राणा ने बताया कि कार्तिक स्वामी तीर्थ में उसनतोली बुग्याल को प्रकृति ने खूबसूरत तरीके से सजाया गया है। भविष्य में ग्वांस-उसनतोली-कार्तिक स्वामी पैदल ट्रैक को विकसित किया जा सकता है, जिससे ग्वांस, मालखी, तड़ाग सहित दर्जनों गांवों में होम स्टे योजना को बढ़ावा देकर स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है।