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केदारनाथ से उड़ान भरते समय हेलीकॉप्टर क्रैश, पायलट समेत छह यात्री थे सवार

केदारनाथ से गुप्तकाशी के लिए उड़ान भर रहा हेलीकॉप्टर अचानक अनियंत्रित हो गया और उसका पिछला हिस्सा जमीन पर टकराने से दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 01:46 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 08:49 PM (IST)
केदारनाथ से उड़ान भरते समय हेलीकॉप्टर क्रैश, पायलट समेत छह यात्री थे सवार
केदारनाथ से उड़ान भरते समय हेलीकॉप्टर क्रैश, पायलट समेत छह यात्री थे सवार

रुद्रप्रयाग, जेएनएन। केदारनाथ से यात्रियों को लेकर फाटा के लिए उड़ान भरते समय हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी आने से पायलट को इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। इसी दौरान हेलीकॉप्टर जमीन से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि, हेलीकॉप्टर के पायलट समेत उसमें सवार सभी छह यात्रियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। बाद में यात्रियों को दूसरे हेलीकॉप्टर से गुप्तकाशी लाया गया।

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सोमवार सुबह 11.22 बजे यूटी एयर कंपनी के हेलीकॉप्टर ने जैसे केदारनाथ से छह यात्रियों को लेकर फाटा के लिए उड़ान भरी, पायलट को उसमें खराबी के संकेत मिलने लगे। यह देख पायलट ने हेलीकॉप्टर को केदारनाथ हेलीपैड पर ही इमरजेंसी लैंडिग का निर्णय लिया। लेकिन, इसी दौरान हेलीकॉप्टर के अनियंत्रित होने से उसका पीछे का हिस्सा जमीन से टकरा गया। जिससे वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वह तो गनीमत रही कि हेलीकॉप्टर में सवार सभी यात्री पायलट राजेश भारद्वाज की सूझबूझ से सुरक्षित बच गए। 

उधर, केदारनाथ में तैनात नायब तहसीलदार जयकृत सिंह रावत ने बताया कि हेलीकॉप्टर के लगभग 15 मीटर ऊपर उड़ान भरने के बाद पायलट को उसमें खराबी के संदेश मिले। जिससे उसकी इमरजेंसी लैंडिंग करवाई गई। वहीं, यूटी एयर कंपनी के प्रबंधक आशीष भट्ट ने बताया कि हेलीकॉप्टर के लैंडिंग करते समय पीछे का हिस्सा जमीन से टकराने के कारण यह दुर्घटना हुई। दूसरी ओर, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया घटना के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है।

केदारनाथ में पहले भी हो चुके हैं हेलीकॉप्टर क्रैश 

केदारनाथ में हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की ये पहली घटना नहीं है।  साल 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान भी रेस्क्यू करते हुए वायु सेना के एमआइ-17 हेलीकॉप्टर समेत तीन हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुुए थे। इन दुर्घटनाओं में 23 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। बता दें कि 16/17 जून 2013 को केदारनाथ में हुई भारी तबाही के बाद 19 जून को केंद्र सरकार ने वायु सेना को वहां रेस्क्यू की जिम्मेदारी सौंपी। इसके बाद नौ दिनों तक वायु सेना ने केदारनाथ धाम की पहाड़ियों पर रेस्क्यू कर हजारों लोगों की जान बचाई। 

इस बीच वायु सेना को नुकसान भी झेलना पड़ा। 25 जून 2013 को वायु सेना का एमआइ-17 हेलीकॉप्टर गौचर से गुप्तकाशी होते हुए आपदा में मारे गए लोगों के दाह-संस्कार को लकड़ी लेकर केदारनाथ पहुंचा था। केदारनाथ में लकड़ी छोड़कर जब वह हेलीकॉप्टर वापस लौट रहा था तो अचानक मौसम खराब हो गया। इस कारण गौरीकुंड के पास दोपहर लगभग दो बजे हेलीकॉप्टर पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गया। 

इस हादसे की सूचना शाम साढ़े चार बजे मिल पाई और दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर को ढूंढने में भी दो दिन लग गए। इस हेलीकॉप्टर में सवार सभी 20 लोग काल का ग्रास बन गए थे। इनमें वायु सेना के दो पायलट समेत पांच क्रू-मेंबर, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन बल) के नौ सदस्य और आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के छह सदस्य शामिल थे। 

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इस हादसे के मात्र तीन दिन बाद 28 जून को केदारनाथ से दो किमी दूर गरुड़चट्टी के पास एक प्राइवेट हेलीकॉप्टर भी क्रैश हो गया। हादसे में पायलट व को-पायलट समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी। यह हेलीकॉप्टर भी राहत एवं बचाव कार्य में लगा हुआ था। इससे पूर्व 19 जून को रेस्क्यू के दौरान जंगलचट्टी में भी एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हालांकि, इस दुर्घटना में किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।

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