जिले के पांच हाईस्कूलों पर लटकी तलवार
रविन्द्र कप्रवान रुद्रप्रयाग जिले में प्राथमिक विद्यालयों के बंद होने के बाद अब उच्चतर माध्यमिक वि
रविन्द्र कप्रवान, रुद्रप्रयाग : जिले में प्राथमिक विद्यालयों के बंद होने के बाद अब उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों का बंद होने का सिलसिला शुरू हो गया है। जिले के पांच विद्यालयों में छात्र संख्या 30 से कम होने पर इन विद्यालयों को नजदीक के इंटर कॉलेजों में विलय करने का शासनादेश शिक्षा निदेशालय ने जारी किया है। वहीं शासन के इस निर्णय से अभिभावकों में विरोध के स्वर भी मुखर हो गए हैं।
हर साल सरकारें सरकारी विद्यालयों की स्थिति सुधारने के लिए करोड़ों रूपये खर्च तो करती है, लेकिन नतीजा हमेशा सिफर ही रहता है। जिससे सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर गिरने के साथ ही छात्र संख्या भी लगातार घट रही है। इसका जीता जागता उदाहरण है रुद्रप्रयाग जिला। जहां छात्र संख्या शून्य होने पर अब तक दो दर्जन से अधिक प्राथमिक विद्यालयों पर ताले लटक चुके हैं। अब उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भी इस श्रेणी में पहुंच चुके हैं, कि उन्हें भी बंद करना पड़ रहा है। सरकारी विद्यालयों में शिक्षक एवं संसाधनों की कमी के चलते अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करवा रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने गत नवंबर में तीस से कम छात्र संख्या माध्यमिक विद्यालयों में विलीनीकरण को लेकर शासनादेश जारी किया था। जिसके तहत कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों का विलय किया जाना था। विलीनीकरण की दशा में विद्यालय की परिसंपत्तियों के रख-रखाव के लिए पृथक से नीति तय करने एवं अभिलेखों को विलय वाले विद्यालयों में स्थानांतरित किया था। जिले के राउमावि कमोल्डी का विलय राइंका बाड़ा, कुरझण व गंधारी का विलय राइंका चोपड़ा, तूना का विलय राइंका ग्वेफड, देवर का विलय राइंका गुप्तकाशी में किया जाने का शासनादेश जारी हुआ था। नये शिक्षा सत्र अप्रैल से इन पांच विद्यालयों को बंद होना था, लेकिन अभी तक ना ही विद्यालयों को बंद किया गया है और ना ही इन्हें यथावत रखने का कोई आदेश मिला है। ऐसे में इन विद्यालयों में संशय की स्थिति बनी हुई है। यदि इन विद्यालयों का विलय होता है, तो इन विद्यालयों के छात्रों को पांच से दस किमी की दूरी तय करनी पडे़गी। जिसका खामियाजा गरीब तबके के छात्रों को भुगतना पड़ेगा। स्कूलों को बंद करने को लेकर अभिभावकों में आक्रोश व्याप्त है। अभिभावकों का कहना है यदि विद्यालयों का विलय होता है, तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। अंशकालीक शिक्षक संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप राणा का कहना है कि विद्यालयों में छात्र संख्या कैसे बढ़ाई जाए इस दिशा में कार्य किया जाना चाहिए, ना कि उन्हें बंद करना चाहिए। छात्र संख्या बढ़ाने के लिए विभाग को हरसंभव प्रयास व शिक्षा की गुणवत्ता प्राइवेट विद्यालयों की तुलना में अच्छी होगी तो छात्र संख्या स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी। गंधारी के सामाजिक कार्यकर्ता गजपाल सिंह बुटोला का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से अभिभावकों में खासा रोष व्याप्त है। इन विद्यालयों को जूनियर हाईस्कूल में विलय किया जाना चाहिए, न कि इंटर कॉलेजों में। इससे गरीब तबके के छात्रों को काफी परेशानियां उठानी पड़ सकती है।
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यह विद्यालय होंगे बंद
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तूना, देवर, कमोल्डी, गंधारी एवं जूनियर हाईस्कूल क्वीली कुरझण। जिले में पांच उमावि को बंद करने को लेकर शासनादेश के अनुरूप ही कार्य किया जाएगा। विद्यालयों को बंद करने की कार्रवाई शासन के दिशा निर्देशों पर होगी।
चित्रानंद काला, मुख्य शिक्षाधिकारी, शिक्षा विभाग रुद्रप्रयाग