शीतकालीन पर्यटन को सरकार नहीं गंभीर
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: केदारनाथ समेत केदारघाटी में शीतकालीन पर्यटन की तमाम संभावनाएं मौजूद होने
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: केदारनाथ समेत केदारघाटी में शीतकालीन पर्यटन की तमाम संभावनाएं मौजूद होने के बावजूद सरकार ने अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए हैं। इससे शीतकालीन पर्यटन परवान नहीं चढ़ पा रहा है। इससे पर्यटन आधारित कार्यो से जुड़े नागरिकों को वर्ष भर रोजगार नहीं मिल पा रहा है। सरकार की बेरुखी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मिनी स्विटजरलैंड के नाम से पहचान रखने वाले पर्यटक स्थल चोपता में विद्युत व्यवस्था तक नहीं है।
केदारनाथ आपदा वर्ष 2013 के बाद केदारघाटी में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने रूपरेखा तैयार की। जिसमें शीतकाल में केदारनाथ में स्कीइंग व माउंटेन क्लाइंबिंग आदि प्रतियोगिताओं के आयोजन की शुरुआत हुई। इसको नाम दिया गया केदार महोत्सव। प्रथम बार वर्ष 2015 में इसका आयोजन भी हुआ। इसमें बड़ी संख्या में खेल प्रेमियों ने भाग लिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसका उद्घाटन किया। लेकिन, इसके बाद इसका आयोजन दोबारा नहीं हो सका। ऐसा ही वर्ष 2016 में चोपता में भी किया गया। यहां पर पर्यटन विभाग व नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने संयुक्त रूप से साहसिक खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन की शुरुआत की, लेकिन फिर इसको बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए।
केदारघाटी में छह महीने चारधाम यात्रा रहती है, लेकिन फिर छह महीने पूरी तरह पर्यटन बंद हो जाता है। इससे यहां के युवाओं की केवल यात्रा सीजन पर भी निर्भरता बनी रहती है। इस पूरे क्षेत्र में शीतकालीन पर्यटन की तमाम संभावनाएं मौजूद हैं। चोपता, तुंगनाथ 12 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं। यहां पर साहसिक पर्यटन के लिए तमाम संभावनाएं मौजूद हैं, लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि यहां पर आज तक विद्युत सुविधा नहीं है, पानी के लिए भी पर्यटकों को भटकना पड़ता है। यहां पर ठहरने के भी सीमित संसाधन है। पर्यटक इस क्षेत्र का दीदार करने तो आते हैं, लेकिन यहां ज्यादा समय ठहर नहीं पाते हैं। सरकार ने पर्यटकों के लिए कुछ भी ऐसा नहीं किया है, जिससे पर्यटक आकर्षित होकर यहां रह सके।
शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय युवाओं ने चोपता में पर्यटकों के लिए रहने व खाने के लिए कॉॅटेज बनाए हैं। लेकिन वन विभाग व इन युवाओं के कॉटेज को लेकर अक्सर विवाद बना रहता है। यह पूरा क्षेत्र प्रतिबंधित वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जिससे यहां पर निर्माण नहीं हो पा रहे हैं। वहीं सरकार ने पर्यटन को बढ़ाने के लिए कोई भी बाधाएं दूर नहीं की हैं। विधायक मनोज रावत कहते हैं कि सरकार को पर्यटन की दिशा में ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। कांग्रेस के शासनकाल में केदार महोत्सव का आयोजन किया गया, लेकिन फिर भाजपा सरकार ने शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। जो सरकार की केदारघाटी के प्रति घोर अनदेखी को दर्शाती है।
पर्यटन विभाग के पास केदार महोत्सव व केदारघाटी में चोपता, तुंगनाथ में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई प्रस्ताव फिलहाल नहीं है। कहा है कि आने वाले समय में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
सुशील नौटियाल
जिला पर्यटन अधिकारी, रुद्रप्रयाग