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केदारनाथ सेंसिटिव जोन पर पुनर्विचार की मांग

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज ने केदारनाथ क्षेत्र को ईको सेंसिटिव जोन घोषित

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 10:18 PM (IST)Updated: Thu, 23 Aug 2018 10:18 PM (IST)
केदारनाथ सेंसिटिव जोन पर पुनर्विचार की मांग
केदारनाथ सेंसिटिव जोन पर पुनर्विचार की मांग

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज ने केदारनाथ क्षेत्र को ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने की अधिसूचना पर पुनर्विचार करने की मांग की है, ताकि केदारनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्य बाधित न हों।

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तीर्थ पुरोहित समाज ने किए जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री वन व पर्यावरण डॉ. हर्षव‌र्द्धन एवं पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर को भेजे ज्ञापन में कहा कि चमोली और रुद्रप्रयाग जिले के 451.12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को ईको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है, जिसमें केदारनाथ क्षेत्र को भी शामिल किया गया है। केदारनाथ एवं केदारघाटी की जनता पहले ही वर्ष 2013 की भीषण आपदा की मार झेल रही है। ईको सेंसिटिव जोन घोषित होने से पुनर्निर्माण कार्य बाधित व प्रभावित होंगे। इतना ही नहीं देश-विदेश से यहां पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, जिससे तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश है। वर्ष 2013 की आपदा के समय तत्कालीन विजय बहुगुणा एवं हरीश रावत ने केदारपुरी के मुख्य मार्ग के दोनों ओर दस-दस फीट की दुकानों के निर्माण की घोषणा की थी, जिसके एवज में ही स्थानीय लोगों ने अपनी भूमि एवं भवन सरकार को दिए थे। कहा कि वर्ष 2013 की आपदा में ध्वस्त आदि जगद्गुरु स्वामी शंकराचार्य की समाधि स्थल सहित हंसकुंड, उदककुंड तथा पौराणिक मंदिरों का पुन: निर्माण कराया जाए। उन्होंने ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने की अधिसूचना पर पुनर्विचार करने मांग की है। ज्ञापन में केदारसभा महामंत्री कुबेरनाथ पोस्ती, विपिन सेमवाल, किशन बगवाड़ी, केशव तिवाड़ी, अर्जुन तिवारी, राजकुमार तिवाड़ी, डीएन वाजपेयी, वृजेंद्र शर्मा, देवेश वाजपेयी के हस्ताक्षर हैं।


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