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मंदाकिनी नदी के किनारे बनाए गए डंपिंग जोन बने कई कस्बों के लिए खतरा

रुद्रप्रयाग में ऑलवेदर रोड के तहत मंदाकिनी नदी के किनारे बनाए गए एक दर्जन से अधिक डंपिंग जोन भविष्य के खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 11:13 AM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 08:41 PM (IST)
मंदाकिनी नदी के किनारे बनाए गए डंपिंग जोन बने कई कस्बों के लिए खतरा
मंदाकिनी नदी के किनारे बनाए गए डंपिंग जोन बने कई कस्बों के लिए खतरा

रुद्रप्रयाग, बृजेश भट्ट। चारधाम परियोजना (ऑलवेदर रोड) के तहत मंदाकिनी नदी के किनारे बनाए गए एक दर्जन से अधिक डंपिंग जोन भविष्य के खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं। स्थिति ये है कि बिना बारिश के भी इन डंपिंग जोन की दीवारें ढहने लगी हैं, सोचिए जब बारिश होगी तो क्या हाल होगा। दरअसल, परियोजना के तहत निर्माण एजेंसी को नदी से 500 मीटर के फासले पर डंपिंग जोन बनाने थे, लेकिन यहां नियमों को पूरी तरह दरकिनार कर नदी के किनारे पहाड़ी पर अस्थायी दीवार बनाकर मलबा डंप किया जा रहा है। जो बरसात में केदारघाटी के कई नगर व कस्बों को अपनी जद में ले सकता है।

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वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान अगस्त्यमुनि नगर को पहुंचा था। इस नगर में तबाही ने इस कदर कहर ढाया कि विजयनगर, सिल्ली व गंगतल का नक्शा ही बदल गया। इसकी बड़ी वजह बना जल-विद्युत कंपनी एलएनटी का मंदाकिनी नदी के किनारे बना डंपिग जोन। यहां डंप किया गया सारा मलबा आपदा के दौरान नगर की ओर आ गया था। हालांकि, बाद में जल-विद्युत कंपनी की ओर से आपदा प्रभावितों को मुआवजा भी दिया गया। अब एक बार फिर चारधाम परियोजना निर्माण कंपनी ने 76 किमी लंबे रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाइवे पर दो दर्जन से अधिक डंपिंग जोन बनाए हुए हैं।

बदरीनाथ हाइवे पर भी घोलतीर से लेकर सिरोबगड़ तक एक दर्जन से अधिक डंपिंग जोन हैं। इनमें नीचे से कच्ची दीवार लगाकर मलबा डंप किया जा रहा है। लेकिन, ये कच्ची दीवार बिना बारिश के ही धराशायी होने लगी हैं। ऐसे में बरसात के दौरान स्थिति क्या होगी, इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं। इससे मंदाकिनी नदी के किनारे बसे चंद्रापुरी, सिल्ली, अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, तिलबाड़ा व सुमाड़ी समेत सभी छोटे-छोटे सभी कस्बों को खतरा उत्पन्न हो गया है। केदारनाथ आपदा प्रभावित अगस्त्यमुनि निवासी अजेंद्र अजय कहते हैं कि डंपिग जोन के मलबे को नदी में गिरने से रोकने के पुख्ता इंतजाम होने जरूरी हैं। अन्यथा यह मलबा बरसात में तबाही का कारण बन सकता है।

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जेपी त्रिपाठी (अधिशासी अभियंता, नेशनल हाइवे, गौरीकुंड) का कहना है कि जिन स्थानों पर डंपिंग जोन की दीवार क्षतिग्रस्त होती हैं, वहां उन्हें तत्काल दुरुस्त कराने के निर्देश निर्माण एजेंसी को दिए जाते हैं। सभी डंपिंग जोन पर विशेष नजर रखी जा रही है। गौरीकुंड हाइवे पर 20 से अधिक डंपिंग जोन चिह्नित किए गए हैं।

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