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कृषि भूमि को सिचित करने वाले ताल पर संकट

सरकार जल संरक्षण की दिशा में भले ही तमाम दावे कर रही है लेकिन धरातल पर स्थिति उलट है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 10:17 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 10:17 PM (IST)
कृषि भूमि को सिचित करने वाले ताल पर संकट
कृषि भूमि को सिचित करने वाले ताल पर संकट

रविन्द्र कप्रवान, रुद्रप्रयाग : सरकार जल संरक्षण की दिशा में भले ही तमाम दावे कर रही है, लेकिन धरातल पर स्थिति उलट है। जल संरक्षण के लिए ताल-खाल को मनरेगा के तहत विकसित करने के दावे किए जाते रहे हैं। लेकिन, कुदरत की अनमोल नेमत तालु ताल आज भी गुमनामी का दंश झेल रहा है। जखोली विकास खंड के थाती बडमा क्षेत्र के राजस्व गांव धरियांज में स्थित ताल का आज तक कोई सरंक्षण नहीं हो सका है। जिससे इसका जलस्तर लगातार घटता जा रहा है। इस ताल के पानी से इस क्षेत्र की कई ग्राम सभाओं की एक हजार से अधिक कृषि भूमि पर सिचाई होती है, लेकिन जल स्तर घटने पर इस ताल पर संकट के बादल छाने लगे हैं।

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धरियांज गांव में स्थित तालु ताल 70 मीटर लंबा एवं 40 मीटर चौड़ा होने के साथ ही 8 मीटर गहरा भी है। ताल के पास प्राचीन शिव मंदिर एवं घंटाकर्ण मंदिर ताल शोभा बढ़ाते हैं। सावन में ताल के पानी से मंदिरों में भगवान का जलाभिषेक भी किया जाता है। वर्तमान में ताल मिट्टी से भर गया है और यहां घास उगने लगी है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि इस तालु ताल में पहले इतना पानी था कि इससे क्षेत्र में तीन घराटों का संचालन होता था। लेकिन, वर्तमान में एक घराट का संचालन हो रहा है। इसके साथ ही मुन्ना देवल, थाती बडमा व धरियांज समेत आसपास के अन्य गांवों की करीब एक हजार नाली कृषि भूमि की सिंचाई भी इसी पानी से होती है, लेकिन वर्तमान में ताल के पानी में लगातार कमी आ रही है। लेकिन, आज तक ताल के संरक्षण को लेकर कोई कार्रवाई तक नहीं हो सकी है। इसके संरक्षण के लिए ना गांव के ग्रामीण आगे आए, और ना ही शासन-प्रशासन। केन्द्र सरकार की मनरेगा योजना जिले में वर्ष 2008 से अस्तित्व में आई। गांवों की विभिन्न विकास योजनाओं पर पैंसा खर्च किया जा रहा है, लेकिन ताल के संरक्षण को लेकर कोई प्रस्ताव तक नहीं बन सका है।

थाती बडमा संघर्ष समिति के अध्यक्ष कालीचरण रावत ने बताया कि उक्त ताल को लेकर कई बार शासन-प्रशासन व पर्यटन विभाग को प्रस्ताव भी दिए गए है। लेकिन अभी तक ताल के संरक्षण को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। ताल का सौंदर्यीकरण होता तो इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

पर्यावरण प्रेमी सतेंद्र भंडारी ने बताया कि है कि जलवायु परिवर्तन के चलते तालु ताल के पानी में लगातार कमी देखने को मिल रही है। आपदा के कारण भी ताल को काफी नुकसान पहुंचा था। गत दिनों ग्रामीणों के साथ ताल का निरीक्षण कर इस संबंध में जिला विकास अधिकारी से वार्ता कर ताल के संरक्षण के लिए अवगत कराया गया है। ताल के संरक्षण के लिए मनरेगा के तहत कार्ययोजना तैयार की जा रही है। ताल के पानी का संरक्षण एवं उसके सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव स्वीकृति के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। इसके लिए खंड विकास अधिकारी जखोली को निर्देशित किया गया है।

मनविदर कौर, जिला विकास अधिकारी, ग्राम्य विकास विभाग रुद्रप्रयाग


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