आयुर्वेदिक बेरोजगारों ने लगाया उपेक्षा का आरोप
ऊखीमठ: लाइसेंस देने व नियुक्ति की मांग को लेकर आयुर्वेदिक डिप्लोमाधारी बेरोजगारों ने प्रदेश सरकार पर
ऊखीमठ: लाइसेंस देने व नियुक्ति की मांग को लेकर आयुर्वेदिक डिप्लोमाधारी बेरोजगारों ने प्रदेश सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। कोरोना काल में जहां आयुर्वेदिक औषधियां कोरोना मरीजों के लिए वरदान साबित हुई हैं, वहीं बेरोजगारों के हाथ केवल मायूसी लगी है।
बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्ट संघ के सदस्य पंकज मैठाणी, नवीन शैव, सुदीप राणा व नितिन तिवारी ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को भेजे ज्ञापन में उत्तराखंड में वर्तमान में 21 आयुर्वेदिक कॉलेज संचालित हो रहे हैं, जिनमें से प्रतिवर्ष सैकड़ों युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर डिप्लोमा प्राप्त तो करते हैं, लेकिन न तो उन्हें लाइसेंस और न ही रोजगार मुहैया कराया जाता है। कहा कि आयुष प्रदेश के नाम पर उत्तराखंड में केवल आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों के हाथ निराशा ही लगी है। कहा कि सरकार से सभी आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों को लाइसेंस मुहैया करवाने, एलोपैथिक अस्पतालों में आयुष विग स्थापित करने, हर्बल कंपनियों में आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों की नियुक्ति की मांग की है। कहा कि यदि उनकी मांगों पर उचित कार्यवाही न की गई, तो समस्त आयुर्वेदिक बेरोजगार फार्मेसिस्ट आंदोलन के लिए बाध्य होना पडे़गा। (संसू)