20 वर्षो बाद होगा पांडव नृत्य का आयोजन
संवाद सूत्र, ऊखीमठ : द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर की उत्सव डोली ऊखीमठ आगमन से ओंकारेश्वर
संवाद सूत्र, ऊखीमठ : द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की उत्सव डोली ऊखीमठ आगमन से ओंकारेश्वर मंदिर 20 वर्षो बाद पांडव नृत्य का आयोजन शुरू होगा। जिसको लेकर क्षेत्रीय लोगों ने एक कमेटी का गठन भी किया है। इस धार्मिक संस्कृति के सफल संचालन को लेकर क्षेत्रीय लोगों से सहयोग की अपेक्षा की गई है।
क्षेत्र में 20 वर्षो बाद होने जा रहे पांडव नृत्य को लेकर क्षेत्रीय लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। पांडव नृत्य संचालन को लेकर सर्वसम्मति के आधार पर एक कमेटी का गठन करते हुए पूर्व प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद भट्ट को अध्यक्ष व अर्जुन ¨सह रावत को सचिव चुना गया। जबकि उपाध्यक्ष विजेंद्र नेगी, राजन सेमवाल, भूपति लाल, गजपाल ¨सह, विवेक विश्वनाथ एवं कोषाध्यक्ष विजय राणा को चुना गया। यह धार्मिक आयोजन द्वितीय केदार भगवान मध्यमहेश्वर की डोली के ऊखीमठ के आगमन के दिन से शुरू होगा। द्वितीय केदार के कपाट बंद होने की तिथि विजयदशमी पर्व पर तय होगी। इस आयोजन में क्षेत्र बड़ी संख्या में अप्रवासियों के पहुंचने की भी संभावना है। नवनियुक्त अध्यक्ष श्री भट्टं ने बताया कि पांडव लीला में पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों में बाणों की पूजा की परंपरा मुख्य है। स्वर्गारोहणी जाने से पहले भगवान कृष्ण के आदेश पर पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र पहाड़ में छोड़ दिए थे। जिन-जिन स्थानों पर यह अस्त्र छोड़ गए थे, उन स्थानों पर विशेष रूप से पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है। पूर्व परंपरा व रीति-रिवाजों को संजोए रखने के साथ ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में पांडव नृत्य के साथ ही चक्रव्यूह का आयोजन भी किया जाएगा। इसमें डंगवाड़ी, ब्राह्मणखोली, उदयपुर और गांधीनगर समेत कई गांवों के ग्रामीण शामिल होंगे।