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क्षतिग्रस्त 72 पेयजल योजनाओं को बजट का इंतजार

रविन्द्र कप्रवान रुद्रप्रयाग जिले में चालू वित्तीय वर्ष में दैवीय आपदा से 142 पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 25 Feb 2019 03:00 AM (IST)
क्षतिग्रस्त 72 पेयजल योजनाओं को बजट का इंतजार
क्षतिग्रस्त 72 पेयजल योजनाओं को बजट का इंतजार

रविन्द्र कप्रवान, रुद्रप्रयाग : जिले में चालू वित्तीय वर्ष में दैवीय आपदा से 142 पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हुई थी। जिनमें 70 योजनाओं के लिए बजट की स्वीकृति मिली है, जबकि शेष 72 पेयजल योजनाओं को बजट का इंतजार है। वर्तमान में इन योजनाओं पर व्यवस्था के तौर पर पानी की सप्लाई की जा रही है। चालू वित्तीय वर्ष समाप्त होने में एक माह का समय शेष है, लेकिन अभी तक जल संस्थान को मांग के सापेक्ष पूरा बजट नहीं मिल सका है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट पैदा हो सकता है। भरदार, सिलगढ़, बडमा एवं तल्लानागपुर के साथ ही ऊखीमठ, अगस्त्यमुनि, जखोली के कई गांवों को सालभर पानी का संकट बना रहता है। जिससे ग्रामीणों को कई किमी दूर प्राकृतिक स्त्रोतों से पानी ढोना पड़ता है।

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जिले के ऊखीमठ, अगस्त्यमुनि एवं जखोली ब्लॉकों में जल संस्थान की कुल 278 पेयजल योजनाएं संचालित हो रही हैं। जिसका पूरे रख रखाव का जिम्मा जल संस्थान को दिया गया है। प्रतिवर्ष दैवीय आपदा के चलते बड़ी संख्या में पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त होती हैं। इन योजनाओं के मरम्मतीकरण के लिए शासन से बजट की मांग भी की जाती है, लेकिन समय से योजनाओं के लिए बजट की स्वीकृति न मिलने से ग्रामीणों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। चालू वित्तीय वर्ष में जल संस्थान की दैवीय आपदा से कुल 142 पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हुई थी। जिसमें विभाग के साथ ही ग्राम सभा की पेयजल एकल योजनाएं शामिल हैं। जल संस्थान ने डेढ़ लाख प्रति योजनाओं की मरम्मत के हिसाब 2.13 लाख का आगणन बनाकर स्वीकृति के लिए शासन को भेजा था। जिसमें 70 योजनाओं के लिए एक करोड़ का बजट ही संस्थान को अवमुक्त हुआ है, जबकि शेष 72 योजनाओं के 1.13 करोड़ का बजट मिलना शेष है। गत सितंबर में अवमुक्त हुए 50 लाख में से 10 योजनाओं पर मरम्मतीकरण का कार्य भी पूरा हो चुका है, जबकि अन्य योजनाओं पर निर्माण कार्य गतिमान है। जिसमें क्षतिग्रस्त स्त्रोत, क्षतिग्रस्त पाइप लाइन एवं सुरक्षा दीवार का निर्माण कार्य शामिल हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में वैसे तो वर्षभर पेयजल का संकट बना रहता है, लेकिन गर्मियों के सीजन में समस्या और भी विकट हो जाती है। वर्तमान में जल संस्थान ने ऐसे स्थानों पर काम चलाऊ व्यवस्था के तौर पानी की सप्लाई की है। इस वर्ष जिले में अच्छी बर्फबारी होने के साथ ही बारिश भी हुई है। जिससे कई जल स्त्रोतों पर पानी की मात्रा में इजाफा हुआ है। अब देखना यह है कि आखिर अवशेष योजनाओं के लिए कब तक बजट अवमुक्त हो पाता है और कब तक योजनाओं की मरम्मतीकरण का कार्य पूरा हो पाता है। जिले में पेयजल योजनाओं की स्थिति

जल संस्थान की कुल योजनाएं - 278

चालू वित्तीय वर्ष में क्षतिग्रस्त पड़ी योजनाएं - 142

कुल योजनाओं को मिली स्वीकृति - 70

बजट के लिए स्वीकृति का इंतजार - 72

अब तक जल संस्थान को मिला बजट - एक करोड़

योजनाओं के लिए बजट मिलना अवशेष - 2.13 करोड़ जिले में दैवीय आपदा से क्षतिग्रस्त 142 पेयजल योजनाओं के लिए 213 लाख रुपये की मांग शासन से की गई थी। जिसमें से मात्र 70 योजनाओं के लिए एक करोड़ का बजट अवमुक्त हुआ है। शेष योजनाओं के लिए बजट की मांग की गई है। वर्तमान में क्षतिग्रस्त योजनाओं पर व्यवस्था के तौर पर पानी की सप्लाई की जा रही है।

संजय ¨सह, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान रुद्रप्रयाग


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