Move to Jagran APP

दो करोड़ के आलू और लाखों का राजमा गांवों में डंप

संवाद सूत्र, मदकोट: मंडियों में अपने स्वाद के लिए धाक जमा चुका मुनस्यारी का जैविक आलू और र

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 10:41 PM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 10:41 PM (IST)
दो करोड़ के आलू और लाखों का राजमा गांवों में डंप
दो करोड़ के आलू और लाखों का राजमा गांवों में डंप

संवाद सूत्र, मदकोट: मंडियों में अपने स्वाद के लिए धाक जमा चुका मुनस्यारी का जैविक आलू और राजमा का बाजारों तक नहीं पहुंच पा रहा है। दो जुलाई की आपदा से बंद सड़क और पैदल मार्ग नहीं खुलने से आलू और राजमा गांवों में ही डंप पड़ा है। शीघ्र बाजार नहीं मिलने पर सड़ने के आसार से ग्रामीण काश्तकार मायूस हैं। आलू और राजमा बेचकर रोजी , रोटी चलाने वाले काश्तकारों के घरों के चूल्हे भी बुझने के कगार पर पहुंच चुके हैं।

loksabha election banner

मुनस्यारी तहसील का बौना, तौमिक, गोल्फा सहित आसपास का क्षेत्र आलू और राजमा उत्पादक क्षेत्र है। प्रतिवर्ष तहसील क्षेत्र में दो करोड़ के आलू का व्यापार होता है तो करीब पचास लाख की राजमा बिकती है। अपने लजीज स्वाद के लिए प्रसिद्ध राजमा और जैविक आलू के स्वाद चखने पर आपदा का ग्रहण लगा है। मार्ग बंद होने के कारण ग्रामीण अपनी इस उपज को बाजार तक ला पाने में लाचार हैं। ऊपर से बदलते मौसम के चलते आलू और राजमा के सड़ने के आशंका ने काश्तकारों की नींद हराम कर दी है।

इस क्षेत्र की मुख्य फसल आलू और राजमा है। पूरे क्षेत्र में जैविक आलू का उत्पादन किया जाता है। ऊंचाई पर उत्पादित यह आलू बाजार में आते ही अन्य आलू को बाजार से बाहर कर देता है। कुमाऊं की प्रसिद्ध मंडी हल्द्वानी में भी इस आलू की धाक है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर बीते वर्षो तक फेडरेशन बनाया गया था । फेडरेशन के माध्यम से यहां का आलू देश की मंडियों तक पहुंचता था।

आलू की फसल तैयार हुए एक माह का समय बीत चुका है। आलू स्थानीय बाजार मदकोट तक नहीं पहुंच पा रहा है। मदकोट से बौना तक पीएमजीएसवाइ की सड़क झापुली से आगे बंद है। झापुली से तौमिक और बौना लगभग पाच से छह किमी दूर हैं। दोनों स्थानों को जोड़ने वाला मार्ग जुलाई से ध्वस्त है। बौना और तौमिक से झापुली तक घोड़े और खच्चरों से प्रति क्विंटल ढुलान का भाड़ा तीन सौ रु पया है। जिस कारण कोई की ग्रामीण आलू ढुलान कर पाने में सक्षम नहीं है। मदकोट तक आलू पहुंचाने में काश्तकारों का प्रति क्विंटल ढुलान 500 रु पए से अधिक हो जाएगा। क्षेत्र के अधिकांश परिवारों की रोजी रोटी आलू और राजमा है। इसके बाजार तक नहीं पहुंचने से उनके घरों पर चूल्हे तक जलने बंद हो सकते हैं। अभी तक मार्ग खोलने की कोई प्रक्रिया अमल में नहीं लाई गई है। झापुली से आगे बौना और तौमिक को जाने वाले मार्ग आपदा से बुरी तरह ध्वस्त हैं। इस संबंध में क्षेत्र मार्ग का निरीक्षण किया गया है। पीएमजीएसवाइ को सड़क खोलने के निर्देश दिए गए हैं।

एमडी अवस्थी , प्रभारी तहसीलदार बंगापानी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.