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पूर्व घोषित चार जिले लेकर रहेंगे

आठ वर्ष पूर्व 2011 को प्रदेश में घोषित चार जिलों को अस्तित्व में लाने को लेकर रैली निकाली जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 11:14 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 06:13 AM (IST)
पूर्व घोषित चार जिले लेकर रहेंगे
पूर्व घोषित चार जिले लेकर रहेंगे

संवाद सूत्र, डीडीहाट: आठ वर्ष पूर्व 2011 को प्रदेश में घोषित चार जिलों को अस्तित्व में लाने के लिए संयुक्त घोषित जनपद संघर्ष समिति की यात्रा डीडीहाट पहुंच चुकी है। यात्रा का डीडीहाट पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। इस अवसर पर पूर्व घोषित चार जिलों को अस्तित्व में निर्णायक संघर्ष का एलान किया गया।

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15 अगस्त 2011 को तत्कालीन सीएम रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रदेश में चार नए जिले डीडीहाट, रानीखेत, कोटद्वार और युमनोत्री की घोषणा की थी। घोषणा के लिए आठ वर्ष बीतने के बाद भी जिले अस्तित्व में नहीं आने के बाद चारों घोषित जिलों की जिला बनाने के लिए संयुक्त घोषित जनपद संघर्ष समिति का गठन किया गया है। जिलों को अस्तित्व में लाने के लिए निर्णायक जंग लड़ने के लिए समिति ने चारों जिलों में सम्पर्क के लिए यात्रा निकाली है। यात्रा शनिवार को डीडीहाट पहुंची। जहां पर जनता ने यात्रा का जोरदार स्वागत किया। इस मौके पर गांधी चौक में रामलीला मैदान में एक सभा हुई।

सभा को संबोधित करते हुए समिति के अध्यक्ष अव्वल सिंह कुमाई, भरत सिंह चौहान, विशालमणि रतूड़ी ने कहा कि आठ वर्ष पूर्व घोषित जिलों की जनता के साथ अब तक की सरकारें खिलवाड़ करती आ रही हैं। जिलों को लेकर बहुत राजनीति हो चुकी है। घोषित जिलों की जनता अपने को ठगा महसूस करती आ रही हैं। जिले घोषित होने के बाद भी सियासी दल चुनावों में जिलों को मुद्दा बना कर जनभावनाओं को उकसा कर विधायक, सांसद बन रहे हैं। सत्त्ता में आते ही जिले की बात भूल जाते हैं।

समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि अब संघर्ष अंतिम चरण पर है। 18 नवंबर को संयुक्त संघर्ष समिति जिलों को अस्तित्व में लाने की मांग को लेकर देहरादून में मुख्यमंत्री से मिलेंगे। जहां पर सकारात्मक पहल नहीं होने पर अगले दिन से चारों घोषित जिलों में जनसम्पर्क अभियान प्रारंभ होगा और एक दिसंबर से चारों जिलों में बेमियादी धरना, प्रदर्शन, अनशन प्रारंभ हो जाएंगे। जिलों को अस्तित्व में नहीं आने तक यह आंदोलन जारी रहेगा। समिति के स्थानीय पदाधिकारियों राजू बोरा, धन सिंह कफलिया, लवी कफलिया, रवि बोरा, ललित चुफाल, देव सिंह साही, बलवंत बिष्ट, चेतन कफलिया, प्रकाश बोरा आदि ने अपने संबोधन में कहा कि अब सीमांत की जनता किसी छलावे में नहीं आएगी।

सभा के बाद यात्रा डीडीहाट से देहरादून को रवाना हो चुकी है। 18 नवंबर को यात्रा देहरादून पहुंच कर सीएम से मिलेगी । इसी के साथ शीतकाल के ठंड में प्रदेश के चार स्थानों पर जिलों को लेकर माहौल गरमाने के आसार बने हैं। सीमांत डीडीहाट, धारचूला और मुनस्यारी में जिले के अस्तित्व में नहीं आने से जनता के मन में दबा आक्रोश मुखर होने लगा है।


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