ड्रैगन का जादू, दन- कालीन के रंग धूमिल
जागरण संवाददाता, जौलजीवी (पिथौरागढ़) : अतीत में ऊनी सामान से लेकर नेपाल के घी और शहद को
जागरण संवाददाता, जौलजीवी (पिथौरागढ़) : अतीत में ऊनी सामान से लेकर नेपाल के घी और शहद को लेकर चर्चित मेले में अब ड्रैगन भारी पड़ने लगा है। मेला क्षेत्र में लगी चार सौ दुकानों में सर्वाधिक दुकानें तिब्बत से आयातित सामान की हैं। तिब्बत से आयातित सामान के लिए दुकानें आवंटित हो चुकी हैं और अभी भारत चीन व्यापार के व्यापारी सामान लेकर रास्ते में है।
आज से 109 साल पूर्व जब अस्कोट के पाल राजवंश के रजवारों ने इस मेले की शुरु आत की थी तो तब इस सीमांत क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाना था। उनके प्रयास से जहां नेपाल सीधे मेले में भी प्रतिभाग करने लगा वहीं तिब्बत के व्यापारी मेले में दुकान सजाते थे। 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद परिदृश्य बदल गया। मेला भारत और नेपाल का रहा। भारत में मेरठ, आगरा, मथुरा, मुरादाबाद, बरेली, काशीपुर , रामनगर के व्यापारी माल लेकर आते थे। नेपाल से स्थानीय उत्पाद घी, शहद व अन्य सामान बिकने आता था।
वर्ष 1992 से एक बार फिर भारत और चीन सरकारों के प्रयास से भारत चीन व्यापार प्रारंभ होने लगा। तिब्बत से आयातित सामान सबसे पहले जौलजीवी ही पहुंचने लगा। धीरे -धीरे तिब्बत से आए चीनी सामान की धाक बनने लगी। वर्तमान पीढ़ी के मेलार्थियों को यह सामान भाने लगा। इस बार भी चीनी जाकेट, साबर के जूते , शर्ट सहित अन्य सामान मेलार्थियों को आकर्षित करने लगे हैं। ड्रैगन की सीधी भागीदारी नहीं होने के बाद भी मेले में युवान भारत और नेपाल के रु पए पर भारी पड़ रहा है। भारत चीन व्यापार के व्यापारी बताते हैं कि युवान भारत और नेपाल की मुद्रा पर वैसे ही भारी है। 12 रु पये के बराबर एक युवान का मूल्य है।