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अंतिम भारतीय गांव कुटी में हुआ है सर्वाधिक 120 सेमी हिमपात

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: उच्च हिमालयी भू भाग के लिए मौसम अनुकूल बना है परंतु मध्य हिमालय मे

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 Jan 2019 10:41 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jan 2019 10:41 PM (IST)
अंतिम भारतीय गांव कुटी में हुआ है सर्वाधिक 120 सेमी हिमपात
अंतिम भारतीय गांव कुटी में हुआ है सर्वाधिक 120 सेमी हिमपात

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: उच्च हिमालयी भू भाग के लिए मौसम अनुकूल बना है परंतु मध्य हिमालय में अभी वर्षा और हिमपात की आवश्यकता है। धारचूला तहसील के व्यास घाटी में स्थित सबसे अंतिम गांव कुटी में सर्वाधिक 120 सेमी हिमपात हो चुका है। दूसरे स्थान पर भी व्यास घाटी का कालापानी है। जहां पर 65 सेमी हिमपात हुआ है।

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आइटीबीपी की अग्रिम चौकियों में लगे स्नो गेज मीटर के अनुसार पांच स्थानों पर हुए हिमपात के आंकड़े मिल सके हैं। जिसमें कुटी गांव में सबसे आगे है। कालापानी क्षेत्र में 65 सेमी हिमपात हो चुका है। वहीें व्यास घाटी के सबसे प्रमुख पड़ाव गुंजी में 25 सेमी हिमपात हुआ है। मुनस्यारी के उच्च हिमालयी अंतिम गांव मिलम में 35 सेमी से अधिक हिमपात हुआ है। अलबत्ता मुनस्यारी में अभी गिरी बर्फ के जमने के बाद दो सेमी हिमपात है। बीते वर्षो में इन स्थानों पर इस समय तक बर्फ काफी कम रही है। आइटीबीपी के डीआजी एपीएस निंबाडिया ने बताया कि उच्च हिमालयी इन क्षेत्रों के सभी मार्ग बंद हो चुके हैं। गुंजी से कालापानी के बीच वाहन के टायरों के स्नो चैन के माध्यम से जवान कांबिंग कर रहे हैं। बीते वर्ष फरवरी में हुआ था हिमपात उच्च हिमालयी क्षेत्र में बीते वर्ष जनवरी माह में हिमपात नहीं हुआ था। इस दौरान हल्का फुल्का हिमपात हुआ जिसके चलते बर्फ टिकी नहीं थी। फरवरी माह में ही इस क्षेत्र में भारी हिमपात प्रारंभ हुआ । इस वर्ष नवबर माह से ही हिमपात जारी है। स्टोन रू के लिए लाभदायक है हिमपात हिमपात वाले क्षेत्रों में उत्पादित ग्रीष्मकालीन फलों पुलम, खुबानी, नाशपाती ,आड़ू और सेब के लिए मौसम बेहद उपयुक्त है। कीवी फल के लिए हिमपात सबसे अधिक लाभदायक है। कृषि विज्ञान केंद्र गैना के सह निदेशक डॉ. वीके सिंह बताते हैं कि उच्च हिमालय सहित उच्च मध्य हिमालय में जिन स्थानों पर बर्फबारी हुई है वहां की फसलों पलथी, ऊगल और स्टोन रू ट फलों के लिए यह बेहद लाभदायी है। इन फलों को पर्याप्त चिलिग प्वाइंट मिलने जा रहा है।

उनका कहना है कि अब मध्य हिमालय में वर्षा और हिमपात की आवश्यकता हो रही है। यहां पर नाममात्र की वर्षा हुई है और हिमपात नहीं हुआ है। यदि शीघ्र मध्य हिमालय में वर्षा होती है तो इस बार गेहूं, मसूर की फसल का अच्छा उत्पादन हो सकता है। यदि मध्य हिमालय में जल्दी बारिश और हिमपात नहीं हुआ तो फिर स्थिति खराब हो सकती है। अच्छे हिमपात के दूरगामी परिणाम सुखद

रक्षा कृषि एवं अनुसंधान संस्थान की इकाई में तैनात वैज्ञानिक डॉ. हेमंत पांडेय का कहना है कि हिमपात के परिणाम अच्छे हैं। इसी क्रम से हिमपात हुआ तो मिडिल हिमालय में वर्षा और हिमपात के आसार हैं। जिससे रबी की फसल अच्छे होने के आसार हैं। साथ ही गर्मियों में पानी का संकट नहीं रहेगा।


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