पहाड़ की नियति बन गया है मरीजों को कंधों पर ढोना
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: पहाड़ के गांवों में बीमार पड़ जाना किसी मुसीबत से कम नहीं है। सड़क
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: पहाड़ के गांवों में बीमार पड़ जाना किसी मुसीबत से कम नहीं है। सड़क के अभाव में मरीजों को कंधों पर ढोकर अस्पतालों तक पहुंचाना पड़ रहा है। इस कवायद में कई मरीज रास्तों में ही दम तोड़ रहे हैं।
जिले के सुदूरवर्ती गांव कनार की हालत भी कुछ ऐसी ही है। यह गांव आज तक सड़क से नहीं जुड़ सका है। गांव के लोगों को बरम तक बनी सड़क तक पहुंचने के लिए बीस किलोमीटर की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। ग्रामीण कई बार गांव को सड़क से जोड़ने की मांग कर चुके हैं, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई हैं। ग्रामीण गांव से 100 किमी.दूर जिला मुख्यालय पहुंचकर सड़क की मांग को लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं।
सड़क का अभाव गांव में बीमार पड़ने वाले लोगों पर सबसे अधिक भारी पड़ता है। गांव में रहने वाली माली देवी रविवार की रात बीमार पड़ गई। गांव में उपचार का कोई इंतजाम नहीं है। माली देवी ने जैसे तैसे रात काटी। सोमवार को ग्रामीण उन्हें डोली में डालकर 20 किमी. दूर जिला मुख्यालय लाए। जहां चिकित्सकों ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें जिला मुख्यालय रेफर कर दिया है।