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भारत-नेपाल के बीच झूला पुल खुला

नेपाल के लोगों के लिए धारचूला स्थिल झूला पुल को सोमवार को आवागन के लिए खोल दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 11:00 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 11:00 PM (IST)
भारत-नेपाल के बीच झूला पुल खुला
भारत-नेपाल के बीच झूला पुल खुला

संवाद सूत्र, धारचूला : नेपाल के व्यास गांवपालिका के दो गांवों के ग्रामीण माइग्रेशन में भारत के रास्ते अब अपने देश लौट रहे हैं। नेपाल के ग्रामीणों के लिए धारचूला में भारत-नेपाल को जोड़ने वाला अंतरराष्ट्रीय झूला पुल सोमवार को खुला और यहां करीब दो हजार लोगों ने आवाजाही की।

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नेपाल के उच्च हिमालयी व्यास गांवपालिका के टिंक और छांगरू के ग्रामीणों के शीतकालीन माइग्रेशन के लिए नेपाल सरकार ने भारत सरकार से अनुरोध किया था। इस अनुरोध पर नेपाल के लोगों को उच्च हिमालय में स्थित गब्र्याग के पास सीता पुल से भारत आने और चार दिन तक भारत के रास्ते धारचूला पहुंच कर सोमवार को धारचूला पुल से अपने देश जाना था। तय कार्यक्रम के तहत नेपाल के छांगरू और टिंकर के ग्रामीण सोमवार की सुबह अपने घोड़े, खच्चरों के साथ सामान लेकर धारचूला पहुंचे। उनके पहुंचने पर सुबह आठ बजे के आसपास झूला पुल खोला गया।

पुल खोलने के बाद नेपाली अपने जानवरों के साथ सामान लेकर अपने वतन को गए। इस दौरान भारत में फंसे अन्य नेपाली भी अपने देश को चले गए। नेपाल से भी काफी संख्या में लोग भारत लौटे। नेपाल के दो गांवों के ग्रामीणों के धारचूला पहुंचने पर कुछ देर तक यहां बाजार में भी चहल-पहल रही। यहां नेपाल के लोगों द्वारा सामान भी खरीदा गया। शाम पांच बजे तक दोनो देशों के बीच आवाजाही जारी रही। करीब दो हजार के आसपास लोगों ने पुल से आवाजाही की।

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97 नेपाली, 238 जानवर

माइग्रेशन करने वाले नेपाल के दो गांवों के कुल 97 ग्रामीण और 238 जानवर सबसे पहले गए। 18 नवंबर को सीता पुल से नेपाल के छांगरू और टिंकर के 97 लोग और 238 जानवर भारत में आए थे। पांच पड़ावों से होते हुए सोमवार को सभी धारचूला पहुंचे । पहला पड़ाव गब्र्याग, दूसरा पड़ाव बूंदी, तीसरा पड़ाव लामारी, चौथा पड़ाव पांगला और अंतिम पड़ाव दोबाट में रहा। सोमवार सुबह दोबाट से चल कर धारचूला पहुंचे।

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सहयोग के लिए अदा किया धन्यवाद

नेपाल सरकार भले ही चीन के इशारे पर कुछ भी करती रही हो परंतु भारत के रास्ते दोनों बार माइग्रेशन करने वाले नेपाली नागरिकों ने भारत का धन्यवाद अदा किया। माइग्रेशन में आए नेपाल के दो गांवों ने ग्रामीणों ने कहा कि कोरोना काल में भी भारत का सहयोग सराहनीय रहा। इस काल में भारत में फंसे नेपाली नागरिकों का भारत में पूरा ध्यान रखा गया।

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दिनभर पुल खुलने से नाते-रिश्तेदार भी मिले

लंबे समय बाद दिन भर पुल खुलने से भारत और नेपाल के नाते रिश्तेदार मिले। झूला पुल पर दिन भर आवाजाही रही। इस बार नेपाल पुलिस और नेपाल सशस्त्र बल के जवानों का रवैया सहयोगात्मक रहा। नेपाल में केवल गुटखा नहीं ले जाने दिया। दोनों देशों के लोग एक -दूसरे देश से सामान खरीद कर लाए। नेपाल के रेस्टोरेंट व बार में भी लंबे समय बाद चहल-पहल रही।

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पुल खुलने पर हजारों की संख्या में लोग इधर-उधर गए। कोरोना संक्रमण को लेकर जरूरी सावधानी बरती गई। पुल खुलने के दौरान शांति बनी रही।

-बीएन पांडेय, निरीक्षक एसएसबी


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