पिथौरागढ़ महिला चिकित्सालय में सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट को स्वीकृति
सीमांत जिले पिथौरागढ़ के महिला चिकित्सालय में सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट को स्वीकृति मिल गई है।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: सीमांत जिले पिथौरागढ़ के महिला चिकित्सालय में सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) को स्वीकृति मिल गई है। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए महिला चिकित्सालय में वार्ड तैयार करने का कार्य शुरू कर दिया है।
पिथौरागढ़ महिला चिकित्सालय में जिले के अलावा बागेश्वर, चम्पावत और नेपाल की महिलाओं के प्रसव होते हैं। प्रति माह जन्म लेने वाले बच्चों में औसतन 18 से 20 बच्चे बीमार होते हैं। इन बीमार बच्चों की देखरेख के लिए अभी तक महिला चिकित्सालय में एनबीएसय (न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट) ही उपलब्ध है। इसमें भी मात्र चार बेड उपलब्ध है। इस यूनिट में बीमार बच्चों के स्वास्थ्य को स्थिर कर उन्हें हायर सेंटर रेफर करने की व्यवस्था सीमांत जिले में उपलब्ध है। व्यवस्थाओं की कमी के लोगों को खासी दिक्कत झेलनी पड़ रही है। समस्या को देखते हुए स्वास्थ विभाग ने महिला चिकित्सालय में एसएनसीयू स्थापित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था, जिसे अब स्वीकृति मिल गई है।
एसएनसीयू के तहत जिले में नवजात बच्चों की देखरेख 15 बेड का वार्ड बनाया जा रहा है। जिसमें बच्चों की उपचार की समस्त सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इस यूनिट की स्थापना के साथ ही महिला चिकित्सालय में बाल रोग विशेषज्ञ के तीन पद सृजित होंगे। इससे व्यवस्थाओं में सुधार की उम्मीद है। इस वर्ष के अंत तक नई यूनिट के शुरू हो जाने की उम्मीद है। ========== एक मात्र बाल रोग विशेषज्ञ के भरोसे चल रही है पूरी व्यवस्था पिथौरागढ़: पांच लाख की आबादी वाले सीमांत जिले के साथ ही आस पास के जिलों और पड़ोसी देश नेपाल के बच्चों के भारी दबाव के बावजूद महिला चिकित्सालय में मात्र एक बाल रोग विशेषज्ञ डा. जेएस नबियाल सेवाएं दे रहे हैं। जिन्हें 24 घंटे मुस्तैद रहना पड़ता है। कुछ समय पूर्व तक उन्हें महिला चिकित्सालय के सीएमएस का दोहरा दायित्व संभालना पड़ रहा था। जिला चिकित्सालय और महिला चिकित्सालय के एकीककरण के बाद उन्हें इस दायित्व से तो मुक्ति मिल गई है, लेकिन नवजात बच्चों की देखरेख का भारी दबाव उन पर है। महिला चिकित्सालय में आवश्यकताओं को देखते हुए तीन बाल रोग विशेषज्ञों की आवश्यकता है। ========== महिला चिकित्सालय में एसएनसीयू की स्थापना का कार्य शुरू कर दिया गया है। जल्द ही यह यूनिट अस्तित्व में आ जाएगी। नवजात बीमार बच्चों को महिला चिकित्सालय में पूरा उपचार मिलने लगेगा।
- डा.केसी भट्ट, पीएमएस, जिला चिकित्सालय