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लोग नहीं आए तो एसडीआरएफ बनी देवदूत

कोविड काल में पुलिस मित्र पुलिस के अपने सूत्र वाक्य को सच साबित कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 10:47 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 10:47 PM (IST)
लोग नहीं आए तो एसडीआरएफ बनी देवदूत
लोग नहीं आए तो एसडीआरएफ बनी देवदूत

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : कोविड काल में पुलिस मित्र पुलिस के अपने सूत्र वाक्य को सच साबित कर रही है। व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही संक्रमितों को मदद पहुंचाने आौर मृतकों के अंतिम संस्कार का महत्वपूर्ण दायित्व भी पुलिस ने अपने कंधों पर ले रखा है। सोमवार को मिशन हौंसला के तहत जिले में पुलिस ने दो मृतकों के अंतिम संस्कार कराए।

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जनपद में सोमवार को कोविड-19 के चलते नवीन और बहादुर की मौत हो गई। अंतिम संस्कार के लिए परिवार और गांव के लोग आगे नहीं आए। तहसीलदार ने इसकी सूचना एसडीआरएफ प्रभारी उपनिरीक्षक राम सिंह बोरा को दी। एसआइ बोरा टीम लेकर अस्पताल पहुंचे। कांस्टेबल सुनील चंद, दीपक कापड़ी, ललित जोशी, गिरीश ताकुली, टैक्निशियन संतोष खाती और चालक महिपाल सिंह मृतकों के शव लेकर घाट पहुंचे जहां दोनों मृतकों का कोविड गाइड लाइन के तहत अंतिम संस्कार किया गया। एसडीआरएफ के इस कार्य को जिले भर के लोगों ने सराहा है। सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश कलौनी, उद्योग व्यापार मंडल अध्यक्ष शमशेर महर, स्वर्णकार संघ के सुनील वर्मा ने कहा है कि पुलिस इस समय लोगों के लिए देवदूत बनी हुई है। उत्तराखंड पुलिस के महत्वपूर्ण कार्यो को लोग हमेशा याद रखेंगे।

पुलिस अधीक्षक सुखबीर सिंह ने कहा कि जिले की पुलिस हर वक्त लोगों की मदद के लिए तैयार है। कोई भी विषम परिस्थिति पैदा होने पर लोग इसकी सूचना पुलिस को दें, उन्होंने लोगों से कहा है कि संक्रमण को रोकने लिए मास्क और शारीरिक दूरी के मानकों का पालन अवश्य करें, इसी से इस महामारी पर जीत मिल सकेगी। यदि गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया तो पुलिस को सख्त कार्रवाई करनी पड़ेगी।


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