जंगली व जड़ी बूटी के फूलों से महक रहा है छियालेख
संवाद सूत्र धारचूला उच्च हिमालय सिर्फ सुंदर बुग्यालों और आकर्षक चोटियों व ग्लेशियरों का ह
संवाद सूत्र, धारचूला : उच्च हिमालय सिर्फ सुंदर बुग्यालों और आकर्षक चोटियों व ग्लेशियरों का ही क्षेत्र नहीं है बल्कि यहां पर पुष्पों का अलग संसार है। चमोली की फूलों की घाटी की तर्ज पर व्यास घाटी के कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग परं उच्च हिमालय के प्रवेश द्वार छियालेख से गब्र्याग तक का क्षेत्र विविध रंगों वाले पुष्पों से महक रहा है। अगस्त माह से खिल रहे पुष्प अब बीज बनने जा रहे हैं।
उच्च हिमालय में खिलने वाले इन जंगली पुष्पों का कोई नाम नहीं है। अलग-अलग रंग, अलग आकार में खिलने वाले ये पुष्प छह माह बर्फ से ढकी रहने वाली इस भूमि पर अपनी आलौकिक छठा बिखेर रहे हैं। अक्टूबर आते-आते सूखने के कगार पर पहुंच कर बीज के रू प में धरती पर गिर कर छह माह तक बर्फ में दबने को तैयार हो चुके हैं। लगभग दस हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित छियालेख से फूलों का यह अद्भुत संसार प्रारंभ होता है जो कई किमी तक फैला है। इस ऊंचाई पर खिले ये फूल यहां पहुंचने वालों को अपनी तरफ सम्मोहित करते हैं।
इस ऊंचाई पर खिलने वाले पुष्पों में अस्सी फीसद पुष्प जंगली हैं और बीस फीसद पुष्प जड़ी-बूटियों के रहते हैं। उच्च हिमालयी घाटी में जब सितंबर माह में सारे पुष्प अपने यौवन में रहते हैं तो यहां का नजारा अलग रहता है। दुर्भाग्य यह है कि इस घाटी को अभी फूलों की घाटी का दर्जा नहीं मिल सका है। आने वाले एक दो वर्ष में यहां तक सड़क तैयार होकर वाहन चलने लगेंगे तो छियालेख की यह घाटी पर्यटकों को आकर्षित करेगी। इस क्षेत्र के पर्यटन को एक नया आयाम मिलेगा। चमोली की तरह ही व्यास में भी फूलों की घाटी देशी, विदेशी पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करेगी।
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छियालेख से गब्र्याग की तरफ और दूसरी ओर फैले पुष्प अगस्त माह के अंत तक खिलने लगते हैं और मध्य अक्टूबर तक इन पुष्पों के बीज बन जाते हैं। दिसंबर के बाद यह क्षेत्र हिमाच्छादित हो जाता है। मई जून में जब बर्फ पिघलती है तो बर्फ में दबे बीज अंकुरित होते हैं और अगस्त से खिलने लगते हैं। इस दौरान यह क्षेत्र खुला रहता है। यदि सरकार के स्तर से इसे विकसित किया जाए तो यह पर्यटन को बढ़ावा देगा।
-कृष्णा गब्र्याल, अध्यक्ष रं कल्याण संस्था