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मिट्टी भरकर पाटे जा रहे हैं राईआगर-बेरीनाग सड़क के गड्ढे

गड्ढों से पटी बेरीनाग-राईआगर सड़क में मिट्टी भरकर लीपापोती की जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 09:39 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 09:39 PM (IST)
मिट्टी भरकर पाटे जा रहे हैं राईआगर-बेरीनाग सड़क के गड्ढे
मिट्टी भरकर पाटे जा रहे हैं राईआगर-बेरीनाग सड़क के गड्ढे

संवाद सूत्र, बेरीनाग: गड्ढों से पटी बेरीनाग-राईआगर सड़क में मिट्टी भरकर लीपापोती की जा रही है। गड्ढों में रेत की जगह मिट्टी भरे जाने से क्षेत्रवासियों में गहरा आक्रोश है। क्षेत्रवासियों ने अविलंब इस कार्य पर रोक लगाए जाने की मांग की है।

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राईआगर से बेरीनाग तक एनएच के अधीन आने वाली सड़क लंबे समय से खस्ताहाल है। सड़क में जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं, जिसके चलते लोगों को आवागमन में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र के लोग लंबे समय से सड़क की हालत सुधारे जाने की मांग उठा रहे थे। जनता के आक्रोश को देखते हुए एनएच ने गड्ढे भरने का काम तो शुरू कर दिया है, लेकिन गड्ढों में रेत की जगह मिट्टी भरी जा रही है। इससे क्षेत्र के लोग भड़क गए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अशोक सिंह ने कहा है कि गड्ढे भरने के नाम पर सरकारी धन की बर्बादी की जा रही है। हल्की सी बरसात में ही मिट्टी घुलने लगेगी, इससे गड्ढों की समस्या पूर्ववत खड़ी होने के साथ ही कीचड़ की समस्या भी खड़ी होगी। उन्होंने मिट्टी भरान का कार्य अविलंब रोककर गड्ढों में रेत भरकर डामर किए जाने की मांग की है। लोक निर्माण विभाग का कहना है कि अभी लेवलिग का काम किया जा रहा है इसके बाद सड़क पर डामर किया जाएगा, लोगों को सड़क गड्ढामुक्त बनाकर दी जाएगी। ======== मलबे से बर्बाद हुई जमीन के मुआवजे को लेकर मुखर हुए सीमांत के ग्रामीण

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: चीन सीमा तक बनी सड़क से हुए नुकसान की भरपाई की मांग को लेकर ग्रामीण लामबंद हो गए हैं। ग्रामीणों ने मुआवजे के साथ ही साथ कृषि भूमि को बचाने के लिए सुरक्षा कार्य भी कराए जाने की मांग की है। मुख्यालय पहुंचे सीमांत के सामाजिक कार्यकर्ता पूरन सिंह बिष्ट ने जिलाधिकारी के सामने मामला रखते हुए कहा कि चीन सीमा तक सड़क का निर्माण पूरा हो चुका है। सड़क निर्माण के दौरान तीनतोला, गस्कू, पांगला, मांगती, घटियाबगड़, गर्वाधार, गाला गांवों में कृषि भूमि को खासा नुकसान हुआ है। कटिग का मलबा खेतों में फेंके जाने से ग्रामीणों की उपजाऊ भूमि बर्बाद हो गई है। पांगला गांव के बांस क्षेत्र और हिमपैरा में आबादी क्षेत्र तक दरारें पड़ी हुई हैं। पांगला गांव में मंदिर का प्रागंण भूस्खलन से ध्वस्त हो गया है। गांवों में पड़ी दरारें कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता ने जिलाधिकारी से मांग की कि गांवों की सुरक्षा के लिए अविलंब ठोस प्रबंध किए जाए और ग्रामीणों की कृषि भूमि को हुए नुकसान की भरपाई की जाए। जिलाधिकारी ने कार्रवाई का भरोसा दिलाया।


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