अब अपने धाम को तवज्जो देने लगे सीमांत जिले के लोग
पिथौरागढ़ में अपने पवित्र धाम को लेकर पहाड़ के लोगों का रुझान अब बदल रहा है।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: अपने पवित्र धाम को लेकर पहाड़ के लोगों का रुझान अब बदल रहा है। अब तक इन धामों में सीमित संख्या में होने वाले यज्ञोपवित संस्कार अब रिकार्ड तोड़ रहे हैं। पिछले तीन दिनों में जिले के चार घाटों में हुए 300 से अधिक यज्ञोपवित इसकी बदलाव की पुष्टि कर रहे हैं।
सीमांत जिले में हिमालय से निकलने वाली कई प्रमुख नदियां हैं। इन्हीं नदियों का जल मैदानी क्षेत्रों में जाकर गंगा से मिलता है। गंगा नदी के तट पर स्थित धार्मिक स्थलों की महत्त्ता को देखते हुए अब तक जिले के लोग अपने पाल्यों का उपनयन संस्कार वहीं जाकर कराने को प्राथमिकता देते थे। अब इसे कोरोना संकट कहें या लोगों की बदलती सोच जिले के घाट भी अब महत्व पाने लगे हैं। माघ माह शुरू होते ही इन घाटों में उपनयन संस्कार के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। माघ माह के पहले दिन इन घाटों में 200 परिवारों ने अपने पाल्यों के उपनयन संस्कार कराए। दूसरे दिन भी उपनयन संस्कार के लिए लोगों का तांता लगा रहा। दूसरे दिन दोपहर तक 50 से अधिक उपनयन संस्कार इन घाटों में हुए। तीसरे दिन भी उपनयन संस्कार के लिए पहुंचे 50 से अधिक परिवारों का कहना है कि जिले से बहने वाली ही नदियां देश के बड़े तीर्थ स्थलों तक पहुंचती हैं। जिले में भी नदियों के तट पर महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं, जिनका वर्णन मानस खंड सहित तमाम धार्मिक ग्रंथों में हैं। इस समय कोरोना के चलते लंबी यात्रा करना उचित नहीं है। अपने घाटों में इस तरह के संस्कार से इनका महत्व बढ़ेगा।